परिवहन सम्पदा के 40 वर्ष विकल्प बनी आवश्यकता
परिवहन सम्पदा अपने 40 वर्षो का सफर पूरा करके 41 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। आॅटोमोबाइल जगत में 40 वर्ष पूर्व परिवहन सम्पदा का प्रकाशन जिस उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया था, उसको हम आज साक्षात साकार होता हुआ देख रहे है। परिवहन सम्पदा को शुरूआती दौर में एक विकल्प के रूप में देखा जाता था जिसका मतलब है कि अन्य समाचार पत्रों की तरह यह भी एक मीडिया है और खबरें पहुंचाने का काम करता है और यह स्थानीय समाचार पत्र ही है लेकिन परिवहन सम्पदा का असल मकसद क्या रहा, यह समय के साथ-साथ सामने आता चला गया। राजनितिक खबरें फिल्मी गपशप, खेल समाचार आदि समाचारों को पहुंचाने का कार्य आज देशभर में सैकड़ो तरह के मीडिया कर रहे हैं पर समाचारों के साथ-साथ व्यवसाय के निर्णयों में सहायक बनना व अपनी भागीदारी से निर्णयों को सही दिशा देने का सौभाग्य कुछ ही पत्रिकाओं को मिल पाया है। आॅटोमोबाइल क्षेत्र में हिन्दी भाषा की परिवहन सम्पदा राष्ट्रीय स्तर में प्रसारित होने वाली पहली पत्रिका है जो कि पाठकों के व्यवसाय/कारोबारी निर्णयों में सहायक है या फिर नई संभावनाओं के दोहन में मददगार साबित हो रही है। आज परिवहन सम्पदा देश के लगभग सभी राज्यों के 70 प्रतिशत से अधिक शहरों व आॅटोमोबाइल व्यवसायियों को नित नई-नई जानकारियां, स्पेयर पाटर््स रेट्स, सूचनाऐं आदि उपलब्ध करा रहा है। निर्माताओं को थोक विक्रेताओं से व थोक विक्रेताओं को खुदरा व्यवसायियों से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है। परिवहन सम्पदा का कवरेज आॅटोमोबाइल्स के सभी विषयों पर है जिससे एक कारोबारी उनमें से किसी न किसी से जुड़ा ही रहता है। हाल ही में परिवहन सम्पदा द्वारा किए गए पाठक सर्वे में यह बात साफ है कि यह पत्रिका अब विकल्प नहीं रही वरन् आटोमोबाइल जगत की जरूरत बनकर उभरी है।आभारी - अवनीश जैन, सम्पादक हमें इस बात की खुशी है कि परिवहन सम्पदा पत्रिका अपने पाठकों की आशाओं के अनुरूप कार्य प्रदर्शन कर रही है |
और आने वाले वर्षो में परिवहन सम्पदा लगातार नई-नई सामग्रियां उपलब्ध करवाने की अपनी थीम को मजबूत करने के प्रयास करती रहेगी। इसी के साथ देश के आटोमोबाइल व्यवसाय से जुड़े व्यापारी, निर्माता, ट्रांसपोर्टस् वर्ग में अपनी मजबूत पकड़ को और अधिक विस्तार देने का कार्य भी निरंतर चलता रहेगा। इन्हीं प्रयासों को अगर आपका सहयोग अब तक के अनुरूप मिलता रहेगा तो हम विश्वास दिलाते है कि आटोमोबाइल जगत के भविष्य की संभावित तस्वीर दिखाने व कारोबारों को आॅटोमोबाइल सम्बन्धी जानकारियां उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। इसी श्रृखंला को आगे बढ़ाते हुए आज के इस तेज युग में हमने परिवहन संपदा से सभी पाठकों के लिये अब इन्टरनैट के माध्यम से इस व्यवसाय से जुड़ी विस्तृत जानकारियां उपलब्ध करवाने हेतु का निर्णय लिया है और अल्प समय में ही हम अपनी वैबसाइड के द्वारा अपने सभी पाठकों से सीधे जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगें। स्मरण रहे कि मुद्रित प्रत्रिका में एक सीमा तक ही हम जानकारियां या आॅटोमोबाइल व्यवसाय से जुड़ी खबरों का प्रकाशन कर पाते हैं लेकिन इस तेजी के युग में यह सूचनायें व समाचार तुरन्त व अधिक से अधिक केवल इन्टरनैट के माध्यम से ही दी जा सकती है तथा किसी भी समय पर और कहीं भी दी जा सकती है क्योंकि यह सभी सूचनायें वैवसाइड द्वारा पाठक अपने स्मार्टफोन से भी प्राप्त कर सकते है।
भावना भगवान को पाषान बना देती है, भावना इन्सान को शैतान बना देती है।
विवेक के स्तर से नीचे उतरने पर, भावना इन्सान को हैवान बना देती है।
जी हाँ, भावना ही तो है जिसका मानव जीवन में अहम स्थान है। भावना से ही मनुष्य पतोन्मुख हो जाता है और मानव शीर्ष स्तर पर पहुंच जाता है। कहा भी गया है ‘जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन वैसी’। मनुष्य की प्रगति के चार सोपान बताये गये हैं उसमें भी प्रथम स्थान भावना का ही है, दूसरा सोपान संकल्प है तो तीसरा सोपान साधना को माना गया है। ये तीन सोपान पार कर लेने पर चैथे सोपान सफलता को चरण चूमना ही पड़ता है। परिवहन सम्पदा के अतीत में इस भावना का ही प्रमुख स्थान रहा है। याद आता है मुझे 19 सितम्बर, 1980 का वह दिन जब मुझे राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा द्वितीय श्रेणी में उत्तीण होने पर पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि से विभूषित किया गया। यह वह समय था जब पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत कम व्यक्ति डिप्लोमाधारी हुआ करते थे। उस समय मैं श्री महावीर दिगम्बर जैन उच्च माध्यमिक विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकाध्यक्ष पर पदासीन था। तत्कालीन विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री तेजकरण डंडिया द्वारा विद्यालय पत्रिका व दैनिक डायरी तथा विद्यालय के प्रकाशन सम्बन्धी सभी कार्य का उत्तरदायित्व मुझे ही सौंप दिया था। समाचार पत्रों में विद्यालय की गतिविधियों के समाचार बनाना व प्रकाशनार्थ प्रेषित करना भी मेरा ही उत्तरदायित्व था। यही कारण था कि मेरी सोच, कार्य क्षमता व योग्यता का आंकलन करते हुए विद्यालय प्रशासन द्वारा स्वयं के व्यय पर पत्रकारिता में डिप्लोमा का कोर्स करने के लिए मुझे चयन किया गया, लक्ष्य था विद्यालय को दक्षता के साथ सेवाएं देने का लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, समय ने करवट ली और विद्यालय के प्रशासन मंे बदलाव आया। यही वह समय था जब मन में अपना एक निजी समाचार पत्र प्रकाशित करने का भाव पैदा हुआ। परामर्श किया गया अपने मित्रों से, अपने सम्बन्धियों से। सभी ने जोखिम भरा कदम बताया, लेकिन धुन के धनी ने संकल्प लिया एक ऐसा समाचार पत्र प्रकाशित करने का जो राजनीतिक न हो। तलाश की गई उस क्षेत्र की जिसमें कोई भी समाचार पत्र प्रकाशित नहीं हो रहा हो। यह समय था अक्टूबर 1980 का।
नवम्बर 1980 में मेरा सम्पर्क हुआ तत्कालीन दी राजस्थान ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के सचिव श्री हीरालाल जी अग्रवाल से। उस समय ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में हिन्दी में कोई भी समाचार पत्र प्रकाशन नहीं हो रहा था। काफी सोच विचार किया गया, मनन किया गया कि समाचार पत्र में क्या प्रकाशित होगा? प्रकाशन सामग्री के क्या स्त्रोत होंगे? इन सभी बिन्दुओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया तथा सफलता के लिये संकल्प के द्वितीय सोपान पर कदम बढ़ा दिये। दृढ़ संकल्प कर लिया गया कि इस सम्पूर्ण व्यवसायिक क्षेत्र (ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ऑटोमोबाइल व्यवसाय तथा मैकेनिक) की समस्याओं को उजागर करके कुछ रचनात्मक कार्य किये जावें। संकल्प के साथ सफलता के लिये तीसरा कदम बढ़ाया ‘साधना’ का। संकल्प लिया कि ऐसी कोई भी सामग्री को इस समाचार पत्र मंे कोई भी स्थान नहीं मिलेगा जिसका व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। पीत पत्रकारिता (ब्लेक मेलिंग) से बचा जावेगा। इसी सोच ने मुझे आगे बढ़ाया और दिये से दिया जलाते हुए तन मन व धन से जुट गया समाचार पत्र का प्रथम स्थापना अंक प्रकाशित करने के लिये।शीर्षक रजिस्टर्ड कराने के लिए रजिस्ट्रार को निम्नलिखित तरह शीर्षक प्रस्तावित किये गये-ट्रांसपोर्ट जगत, परिवहन जगत, यातायात जगत, ट्रांसपोर्ट संदेश, परिवहन टाइम्स, यातायात टाइम्स, परिवहन मेल, यातायात मे, परिवहन एक्सप्रेस, यातायात एक्सप्रेस ऑटोमोबाइल संदेश, परिवहन सम्पदा आदि।
मैंने परिवहन सम्पदा के चार पेज के अंक से आरम्भ आज चालीस वर्षो का सफर और समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को बहुत सुक्षमता से पढ़ा व देखा है और पत्रिका के संस्थापक
स्व. सुरेन्द्र कुमार जैन की पत्रिका का विस्तार करने की लगन व मेहनत भी देखी है और उनके बाद अवनीश जैन ने जो सृजनशीलता एवं तकनीक का समावेश अपनी पत्रिका में किया है उसके कारण आज
परिवहन सम्पदा भारतीय आटो सैक्टर की सबसे विश्वसनीय पत्रिका बन गई हैं।
मैं परिवहन सम्पदा की पूरी टीम को इस प्रयास के लिए व 40 वर्षिय वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं व पत्रिका के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूूं।
Parivahan sampada has a drastic role in providing vital information for its dealers by providing them a broader view and a sense of direction of automobile
trade.
It is not just a magazine, moreover it is a way to get connected and be acknowledged of the latest trends in automobile trade. Parivahan Sampda's 40 years of remarkable service
has been a great contribution for the improvement in dealer's reach to the market trends and services.
Wishing you all the best for the upcoming years.
Dear Avnish Congratulations on the 40th Aniversary of Parivahan Sampada.
I am amongst the Privlaged to be associated with your Father Late Shri Surendra Kumar Jain ji when it was a News Paper. I gave the 1st Colour Advertisement & today by Grace of God
Parivahan Sampada is the leading Automobile Magazine in India .Best of Luck for Years & Years to come
परिवहन सम्पदा के चालीस वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई इन चालीस वर्षो में जो सृजनशीलता एवं तकनीक का समावेश अपनी पत्रिका
में किया है उसके कारण आज परिवहन सम्पदा भारतीय ऑटो जगत की सबसे विश्वसनीय पत्रिका हैं
मैं परिवहन सम्पदा टीम को इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं व पत्रिका के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूूं। परिवहन सम्पदा द्वारा ऑटो कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरर
,होलसेलर एवं रिटेलर को जोड़ने का एवं मार्केट अपडेट व तकनीक पहुंचने का सार्थक एवं उत्कृष्ट प्रयास किया है उसके लिए पूरी परिवहन सम्पदा टीम बधाई की पात्र है।
परिवहन सम्पदा में आटोजगत न्यूज के अलावा राष्ट्रीय स्तर की सभी गतिविध्यिां, जीएसटी टैक्स से जुड़ी सारी जानकारियां, मोटर वाहन कानून, रोड टैक्स आदि के साथ-साथ सामाजिक मुद्दो व स्वास्थ्य से जुड़ी अतिरिक्त जानकारियों से भी अपडेट करती है। पत्रिका के द्वारा हमें देश के हर राज्य में एसोसिएशन की गतिविध्यिों के बारे में भी समय-समय पर अपडेट मिलती रहती है। परिवहन सम्पदा में आटोजगत न्यूज के अलावा राष्ट्रीय स्तर की सभी गतिविध्यिां, जीएसटी टैक्स से जुड़ी सारी जानकारियां, मोटर वाहन कानून, रोड टैक्स आदि के साथ-साथ सामाजिक मुद्दो व स्वास्थ्य से जुड़ी अतिरिक्त जानकारियों से भी अपडेट करती है। पत्रिका के द्वारा हमें देश के हर राज्य में एसोसिएशन की गतिविध्यिों के बारे में भी समय-समय पर अपडेट मिलती रहती है। परिवहन सम्पदा परिवार को मैं पत्रिका के 40 वर्षो का सपफर पूर्ण करने पर हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करता हूं।
Heartiest congratulations to Parivahan Sampada on Completion of 40th years as the most updated and followed magazine in Automobile parts Industry. Your keen dedication has always been a motivation for all of us. Every workplace needs someone who stands out from the rest and be an inspiration for everyone. Thank you for being the person and we are really proud of you. We wish you all the best for upcoming years. Our support is always with you.
परिवहन सम्पदा के 40 वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई। मैं परिवहन सम्पदा पत्रिका के साथ अप्रैल 1981 से जुड़ा हुआ हूँ । इस पत्रिका के माध्यम से हमेशा नयी-नयी तकनीक, नये-नये प्रोडक्ट्स एवं निर्माताओं के बारे में जानकारी मिलती रही है और इस पत्रिका के माध्यम से ना केवल हमें सप्लायर मिले अपितु नये-नये ग्राहक भी मिले। पत्रिका के संरक्षक मंडल में रहते हुए मैंने पत्रिका के संपादक मंडल को बहुत समीप से जाना है संपादक द्वारा जो लक्ष्य निर्धारित किया एवं जो कमेटमेंट किया उसको बखूबी से निभाया और आज भी उस पर अमल कर रहे है। इन 40 वर्षों में अन्य पत्रिकायें भी मार्केट में आई परंतु 1-2 वर्षो से अधिक चल नहीं पाई, लेकिन परिवहन सम्पदा ने प्रदेश में ही नही अपितु पूरे देश मे अपना स्थान बनाने में सफलता हासिल की है। संपादक मंडल में एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी ने भी अपने द्वारा किये कमेटमेंट को ध्यान में रखकर पत्रिका को निरंतर नई बुलंदियों पर पहुंचाया। आज पत्रिका का नये वेब पोर्टल के द्वारा प्रिंट पत्रिका के साथ -साथ अब हमें तुरंत और प्रतिदिन मार्केट अपडेट व ऑटो जगत से जुड़ी जानकारियां मिलती रहेगी। मैं परिवहन सम्पदा टीम को इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं व पत्रिका के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूूं।
You have been doing great work by publishing Parivahan Sampada - The best and the most followed magazine for latest news and updates in Automotive Parts Industry since 40 Years now. And, now when digitalization is the new need and medium today, your going digital for Magazine makes us happier and even more confident upon your reach and success. We wish you all the best for success with flying colours in this new direction. Our support is always with you.
परिवहन सम्पदा भारत की ऑटोमोबाइल क्षेत्र की एक मात्र पात्रिका है, जिसका भारतीय आटो-जगत और उद्योग पर सम्पूर्ण ध्यान केंद्रित है इसके व्यापक कवरेज में सभी प्रकार के वाहन और ऑटो कम्पोनेंटस निर्माता के साथ-साथ, होलसेलर, रिटेलर भी शामिल है। पत्रिका द्वारा कवर किये गये अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ईंधन, सड़क और बुनियादी ढांचे शामिल हैं जो आॅटो सेक्टर के विकास को प्रभावित करते हैं। इस पत्रिका द्वारा भारत में ऑटोमोबाइल बाजार की दिल्ली मार्केट रिपोर्ट का नियमित अपडेट भी दिया जा रहा हैं। परिवहन सम्पदा भारी वाणिज्यिक वाहनों, हल्कें वाणिज्यिक वाहनों, कारों, ट्रैक्टरों, जेसीबी, और भारी अर्थमूवर्स उपकरणों के प्रबंधन की धारा से संबंधित जानकारी दुनिया को इकट्ठा करती है और इसे यथार्थवादी तरीके से खूबसूरती के साथ पेश करती है। परिवहन सम्पदा भारत ही नहीं वरन् नेपाल और भूटान के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करता है। यह सभी आटोट्रेड निर्माता, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और यांत्रिकी को जोड़ने के लिए एक श्रृंखला है। पत्रिका पाठकों और व्यापारियों को समान रूप से रोमांचित करती है जो इस उद्योग के विकास में शीर्ष पर होने के लक्ष्य को साझा करते हैं। पिछले 40 वर्षों से आटो-जगत में होने के बाद, टीम का लक्ष्य हमेशा उत्कृष्ट ग्राहक सेवाओं, लचीलेपन में वृद्धि और इस प्रकार बढ़ी हुई ग्राहक संतुष्टि प्रदान करके हर ग्राहक की अपेक्षाओं को पार करना है।
परिवहन सम्पदा के 40 वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई। मैं परिवहन सम्पदा पत्रिका को तब से जानता हूं जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर 1984 में इस व्यवसाय में आया, इस पत्रिका के माध्यम से हमेशा नयी-नयी तकनीक, नये-नये प्रोडक्ट्स एवं निर्माताओं के बारे में जानकारी मिलती रही और इस पत्रिका के माध्यम से ना केवल हमें सप्लायर मिले अपितु नये-नये ग्राहक भी मिले। मैं परिवहन सम्पदा के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूूं।
विगत 40 वर्षों से हम निरन्तर परिवहन सम्पदा हिन्दी की प्रथम ऑटोमोबाइल पाक्षिक पत्रिका का अवलोकन करते आ रहे है। पत्रिका में हमारे समस्त प्रकार के प्रोडक्ट्स की सम्पूर्ण जानकारी, रेट्स एवं गुणवत्ता का समावेश बहुत ही विष्वसनीयता के साथ किया जाता है। हमारे परिवहन सम्पदा के संस्थापक स्व. सुरेन्द्र कुमार जैन साहब के उत्तराधिकारी श्री अवनीश जैन बखुबी निभा रहे है, अतीत से वर्तमान की जानकारी हमारे समस्त डीलर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स एवं कम्पनीयों को सुलभ हो रही है। वर्तमान परिपेक्ष्य में नये उत्पादको एवं नई तकनीक से आफ्टर मार्केट में प्रवेश की विस्तृत जानकारीयां हमें इस पत्रिका के माध्यम से मिलती रहती है। मैं उन सभी चैनल सदस्यों का आभारी हूं जिन्होंने इस हिन्दी पाक्षिक पत्रिका को नई दिशा देकर हम तक पहुंचाया है। समय-समय पर पत्रिका की संपादन टीम ने व्यापारिक गतिविधियों के साथ आर्थिक, सामाजिक धार्मिक एवं देश-विदेश की गतिविधियों को एक सुत्र में बांधने का सफलतापूर्वक प्रयास किया है। हम आभारी है उन सभी सदस्यों का जो अपने सार्थक प्रयास से परिवहन सम्पदा पत्रिका का दिनों-दिन प्रकाषन कर रहे है।
एक निश्चित कालखंड में परिवहन सम्पदा जैसी पत्रिका ने साहित्यिक चेतना के विस्तार में सफलता पाने के साथ-साथ व्यापारिक जगत में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। मैं पत्रिका के संपादक श्री अवनीश जैन और परिवहन सम्पदा परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों की व्यापारिक गतिविधियों को देश के कौने कौने तक पहुंचाने की मुहिम में पिछले 40 वर्षों से जुटी परिवहन सम्पदा की टीम साहित्यिक चेतना के विस्तार में भी अपने कुशल संपादक अवनीश जैन के नेतृत्व में सफलता के नए आयामों को स्पर्श कर रही है। मैं परिवहन सम्पदा के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
40 वर्षों की अवधि के दौरान परिवहन संपदा पत्रिका ने देष के लगभग हर कौने में टीमवर्क का बेहतरीन प्रदशन कर विष्वास की बुनियाद को मजबूत करने में न केवल सफलता हासिल की है बल्कि व्यापारिक जगत को भी अपने लेखकीय कौशल से प्रभावित किया है। मैं परिवहन संपदा के संपादक श्री अवनीश जैन के साथ-साथ उनकी पूरी टीम के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
40 वर्षों के अथक ओर निरंतर साहित्यिक साधना का सुपरिणाम यह है कि आज परिवहन सम्पदा किसी परिचय की मोहताज नहीं है। देश में आटो-जगत के व्यापारिक घरानों और प्रतिष्ठानों का प्रतिनिधित्व कर रही इस पत्रिका के दीर्घजीवी और उत्तरोत्तर भविष्य की मंगलकामनाओं के साथ शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
Lorem Ipsum is simply dummy text of the printing and typesetting industry. Lorem Ipsum has been the industry's standard dummy text ever since the 1500s, when an unknown printer took a galley of type and scrambled it to make a type specimen book. It has survived not only five centuries, but also the leap into electronic typesetting, remaining essentially unchanged. It was popularised in the 1960s with the release of Letraset sheets containing Lorem Ipsum passages, and more recently with desktop publishing software like Aldus PageMaker including versions of Lorem Ipsum.
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here, content here', making it look like readable English. Many desktop publishing packages and web page editors now use Lorem Ipsum as their default model text, and a search for 'lorem ipsum' will uncover many web sites still in their infancy. Various versions have evolved over the years, sometimes by accident, sometimes on purpose (injected humour and the like).
Contrary to popular belief, Lorem Ipsum is not simply random text. It has roots in a piece of classical Latin literature from 45 BC, making it over 2000 years old. Richard McClintock, a Latin professor at Hampden-Sydney College in Virginia, looked up one of the more obscure Latin words, consectetur, from a Lorem Ipsum passage, and going through the cites of the word in classical literature, discovered the undoubtable source. Lorem Ipsum comes from sections 1.10.32 and 1.10.33 of "de Finibus Bonorum et Malorum" (The Extremes of Good and Evil) by Cicero, written in 45 BC. This book is a treatise on the theory of ethics, very popular during the Renaissance. The first line of Lorem Ipsum, "Lorem ipsum dolor sit amet..", comes from a line in section 1.10.32.
There are many variations of passages of Lorem Ipsum available, but the majority have suffered alteration in some form, by injected humour, or randomised words which don't look even slightly believable. If you are going to use a passage of Lorem Ipsum, you need to be sure there isn't anything embarrassing hidden in the middle of text. All the Lorem Ipsum generators on the Internet tend to repeat predefined chunks as necessary, making this the first true generator on the Internet. It uses a dictionary of over 200 Latin words, combined with a handful of model sentence structures, to generate Lorem Ipsum which looks reasonable. The generated Lorem Ipsum is therefore always free from repetition, injected humour, or non-characteristic words etc.
The standard chunk of Lorem Ipsum used since the 1500s is reproduced below for those interested. Sections 1.10.32 and 1.10.33 from "de Finibus Bonorum et Malorum" by Cicero are also reproduced in their exact original form, accompanied by English versions from the 1914 translation by H. Rackham.
LOGIN TO E-SERVICES