+91-9414076426
Agency | May 12, 2021 | Heavy Commercial Vehicles
कोविड ने बदल दी ट्रक ट्रांसपोर्ट सेगमेंट की तस्वीर
देश में सबसे ज्यादा ट्रकों का आवागमन तमिलनाडु के नमक्कल में होता है। वहां के एक ट्रक ड्राइवर ने कहा कि वर्ष 2020 सुनामी की तरह रहा। ये शब्द 2020 में ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री की हालत का खुलासा करते हैं। महामारी में यह सेक्टर उलट पलट हो गया। हालांकि इंडस्ट्री में 4-5 महीने के बाद बाउंस बैक दिखा, लेकिन कई ट्रक वालों का नुकसान हो चुका था।
आम तौर पर जब भी मंदी आती है या इकोनाॅमी में कोई रुकावट पैदा होती है तो उसका पहला असर ट्रक इंडस्ट्री पर पड़ता है। मार्च 2020 से महामारी का दौर शुरू हुआ, जिसमें 1 करोड़ से ज्यादा ट्रकों के पहिए अचानक रुक गए। कारगो मूवमेंट पूरी तरह ठप हो गया। जैसे-जैसे महामारी फैली, ड्राइवर इन्पफेक्शन के डर से ट्रक रास्तों पर छोड़ कर अपने होमटाउन चले गए। यह ट्रक मालिकों के लिए बड़ी परेशानी थी। उनके ट्रक बगैर किसी बिजनेस के कई दिनों तक खड़े रहे जबकि उन्होंने ईएमआई जमा कराना जारी रखा।
तिरुचिरापल्ली स्थित शुभम फ्रेट कैरियर्स इंडिया लि. के एमडी पी सुंदरराज ने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियां हटने लगी तो ट्रक भी हाईवे पर लौटने लगे। लेकिन महामारी की घोषणा के 8 महीने बाद भी 10-15 फीसदी ट्रक यूज में नहीं आ रहे हैं। हालांकि स्थिति पहले से काफी सुधर गई है। फोर्टिगो लाॅजिस्टिक्स के सीईओ अंजनी मंडल ने कहा कि 2020 एक तूफान की तरह आया और सबकुछ तहस-नहस करके चला गया।
हालांकि ट्रक इंडस्ट्री के लिए विपरीत समय 2020 की शुरुआत से ही शुरू हो गया था। कई कारणों से इंडस्ट्री नुकसान में रही। जैसे आटो इंडस्ट्री में मंदी आ गई, गुड्स की डिमांड कम होने से ट्रांसपोर्ट भी कम हुआ, कुछ स्थानों पर तूफान और भारी बारिश के कारण रुकावट रही। महामारी के दौरान ट्रक इंडस्ट्री ने क्या सबक लिए? सुंददराज, जिन्हें इंडस्ट्री में करीब 30 वर्ष का अनुभव है, कहते हैं, हमने इससे पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी। फिर भी हम किसी तरह मार्केट में टिके हुए हैं। अब भविष्य में अगर ऐसी कोई परिस्थिति आई तो उससे बचने के लिए हमने बहुत कुछ सीखा है।
सुंदरराज ने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए कंटीजेंसी फंड बनाया जाना चाहिए। किसी भी बिजनेस में लोन लायबिलिटी कुल इनवेस्टमेंट के 60 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मंथली डेब्ट रिपेमेंट कुल कमाई के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि व्हीकल्स को वेल-मेंटेन्ड रखना चाहिए, क्योंकि क्राइसिस में स्पयेर्स और वर्कशाॅप उपलब्ध नहीं होती है। जो लोग बिजनेस में हैं, उन्हें क्राइसिस के समय घबराना नहीं चाहिए, जब ड्राइवर व्हीकल्स हाईवे पर छोड़कर चले जाएं और एंप्लाईज वेयरहाउस तक नहीं पहुंच सकते, जहां करोड़ो रुपए की गुड्स रखी जाती हैं। हालांकि स्पेयर पार्ट सेलर्स, पेट्रोल पंप आनर्स, लोकल एसोसिएशन और ढाबों से अच्छे संबंध होने पर इमरजेंसी में व्हीकल्स उनकी कस्टडी में छोड़े जा सकते हैं। फोर्टिगो लाॅजिस्टिक्स के मंडल के मुताबिक 2020 का खास सबक यह है कि जो लोग इस महामारी के दौरान बचे हुए हैं, उन्होंने डिजिटल टेक्नोलाॅजी में इनवेस्ट किया है और उनके पास एक प्रोपिफटेबल बिजनेस माॅडल है और उनकी कलेक्शन साइकल वेल-मैनेज्ड है।
अब ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री में नए तौर तरीके विकसित होंगे। एसेट्स, ट्रकों की संख्या, प्राइसिंग आदि राशनलाइज होंगे और इस तरह इंडस्ट्री में कंसोलिडेशन देखने को मिलेगा। इसके अलावा कई अनआर्गनाइज्ड प्लेयर बाहर हो जाएंगे, जो कि प्री-कोविड टाइम्स में भी मुश्किल में थे। अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लि. (एपीएमएल) के चेयरमैन रमेश अग्रवाल ने कहा कि महामारी के दौरान मार्केट में केवल इनोवेटर्स सर्वाइव कर पाए हैं। एपीएमएल सहित अन्य आगनाइज्ड कंपनियों को इससे फायदा होगा।
कुल मिलाकर 2021 डिजिटल होगा। प्रोडक्टिविटी, एफीशियंसी और डिजिटल टेक्नोलाॅजी डिप्लायमेंट से प्रोफिट और कैश-फ्रलो माॅडल तय होगा, जो कि इंडस्ट्री के लिए इकलौता सोल्यूशन है।