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Agency | Oct 19, 2022 | Social Update
संसार की पहली दीपावली
आदिकवि वाल्मीकिकृत रामायण के बाद ही संसार की सभी रामकथाएं अस्तित्व में आई हैं। उस काल में सियाराम सहित लक्ष्मणजी के भव्य स्वागत की तैयारी अयोध्यावासियों ने कुछ इस तरह की थी....
सियाराम के स्वागत की तैयारी
हनुमानजी द्वारा सियाराम के आगमन का संदेश सुनकर भरतजी ने शत्रुघन जी को आज्ञा दी कि वे नगर के सभी कुलदेवताओं के मंदिरों तथा साधरण देव मंदिरों में गंधमाल्यादि लें, गाजे-बाजे के साथ जाकर और पवित्रा हो पूजा करें।
मार्ग की सजावट
शत्रुघन जी ने कई हजार कुली कवाड़ियों और कारीगरों को आज्ञा दी कि नंदीग्राम से अयोध्या के बीच की सड़क ठीक करें। उस पर हिम के समान शीतल जल से सड़क पर छिड़काव करें। पिफर सड़कों के उफपर फूल और लाजा (चावल) बिखेर दंे।
अयोध्या का श्रृंगार
अयोध्यापुरी की सब सड़कों पर झंड़ियां लगा दी जाएं। सूर्य के निकलने के पूर्व ही अयोध्या नगरी के समस्त भवन पफूल मालाओं और मोती के गुच्छों तथा सुगंध्ति पांच रंग के पदार्थों के चूर्ण से सजा दिए जाएं। राजमार्ग पर जगह-जगह रंगबिरंगे चैक पूरे जाएं और राजमार्ग पर सैकड़ों मनुष्य पंक्तिबद्ध खड़े हों।
चारों भाइयों का प्रेम
श्रीरामचंद्रजी ने श्रेष्ठ घोड़ों के रथ पर सवार होकर अयोध्यापुरी की ओर प्रस्थान किया। उस समय भरत जी ने घोड़े की रास पकड़ी, शत्रघ्न ने रामचंद्रजी के उपर छत्र ताना और लक्ष्मण जी उनके सिर पर चंवर ढुलाने लगे। अयोध्या में उत्सव जुलूस में आगे-आगे नगाड़े, करताल, झांझ स्वस्तिक आदि बाजे वाले चल रहे थे। इनके अतिरिक्त हर्षित हो सुंदर मड़्गलसूचक गान गाते हुए गवैये भी चल रहे थे। नगर के घर पताकाओं से सजे हुए थे। लड्डू लिए अन्य लोग भी श्रीरामजी के आगे-आगे चल रहे थे।