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Avnish Jain | Jun 01, 2023 | Editorial
लोगों की उलझन दूर करें
Rs. 2000 notes exchange limit process guidelines rbi
दो हजार रुपये के नोटों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई। अगर बैंक से लंबी कतारें लगने या बेहिसाब भीड़ जमा हो जाने की खबरें नहीं आ रहीं तो इसकी एक वजह तो यही है कि इन नोटों का चलन काफी पहले से कम होता जा रहा था । आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च 2023 को सर्कुलेशन में मौजूद दो हजार के नोटों की संख्या कुल नोटों का 10.8 फीसदी ही रह गई थी । दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि पिछली बार यानी 2016 में हुई नोटबंदी के विपरीत इस बार इन नोटों को लीगल टेंडर बनाए रखा गया है। इन्हें बदले जाने की समयसीमा भी ठीकठाक लंबी (30 सितंबर तक) रखी गई है। आरबीआई गवर्नर ने स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी ये नोट मान्य हों और यह संकेत भी दिया कि जरूरत होने पर यह समयसीमा बढ़ाई जा सकती है। बावजूद इसके, दो हजार के नोट वापस लिए जाने की घोषणा करेंसी मैनेजमेंट के लिहाज से कोई अच्छी मिसाल नहीं कही जाएगी । भले ही आबादी का बड़ा हिस्सा सीधे तौर पर इस फैसले से प्रभावित न हो रहा हो, लेकिन इसमें हर आम ओ खास के लिए सरप्राईज एलीमेंट जरूर है। इसने सबको न केवल एक बार चैंका दिया बल्कि उनके जेहन में दर्ज नोटबंदी के कड़वे अनुभव को फिर ताजा कर दिया । इसके अलावा नोटबंदी के मुकाबले ज्यादा सतर्कता और ज्यादा सहजता से अमल किए जाने के प्रयासों के बावजूद इस बार भी अनिश्चितता और असमंजस की स्थिति टाली नहीं जा सकी।
आरबीआई गवर्नर के स्पष्टीकरण के बाद भी अभी तक यह साफ नहीं है कि नोट बदलवाने के लिए बैंक जाने वालों को आईडी दिखाने और फाॅर्म भरने की जरूरत होगी या नहीं । एसबीआई की घोषणा के मुताबिक इसकी जरूरत नहीं है लेकिन अलग-अलग बैंकों की ओर से बताया जा रहा है कि इसकी जरूरत होगी। यह भी तय नहीं है कि एक बार में अधिकतम 10 नोट बदलवा ने की सीमा का क्या मतलब है। क्या यह सीमा एक दिन के लिए है या कतार में काउंटर पर आने वाली अपनी बारी से मतलब है। यानी क्या उसी समय दोबारा कतार में लगकर को चाहे तो दूसरी और पिफर तीसरी बार भी 10-10 नोट बदलवा सकता है? इसके अलावा नोट वापसी की इस घोषणा ने यह विचित्रा स्थिति पैदा कर दी है कि दो हजार के जो नोट देश की करेंसी का हिस्सा हैं और आज भी लीगल टेंडर हैं, बाजार में स्वीकार नहीं किए जा रहे। इस स्थिति को निस्संदेह टाला जा सकता था । हालांकि यह बात रेखांकित किए जाने की जरूरत है कि अपने देश में करेंसी की साख कापफी अच्छी है। वरना डिजिटल ट्रांजिशन की इतनी तेज और सहज प्रक्रिया संभव नहीं थी । लेकिन हमारे नीति -निर्माताओं को पाॅलिसी की स्थिरता से जुड़े सबकों पर शायद फिर से गौर करने की जरूरत है।