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Agency | Jun 02, 2022 | Health and Fitness
वसा युक्त यकृत यानि फैटी लिवर से पीड़ित लोगों की संख्या में खतरनाक रूप में वृद्धि हो रही है। यदि ठीक से इलाज न हो तो वसायुक्त यकृत से लंबे समय में यकृत कैंसर भी हो सकता है। उपलब्ध् आंकड़ों के मुताबिक, भारत में प्रति पांच में से एक व्यक्ति के यकृत में अधिक वसा मौजूद होती है और प्रति 10 में से एक व्यक्ति में फैटी लिवर रोग होता है। यह चिंता का एक कारण है, क्योंकि ठीक से जांच और इलाज न हो तो वसायुक्त यकृत से यकृत को क्षति पहुंच सकती है और यकृत कैंसर भी हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार, गैर-एल्कोहल फैटी लिवर रोग एनएएफएलडी वाले 20 प्रतिशत लोगों में 20 वर्षों के अंदर लिवर सिरोसिस होने का खतरा रहता है। यह आंकड़ा एल्कोहलिक लोगों के समान है।
एनएएपफ एलडी सिरोसिस और कभी-कभी तो क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस की भी वजह बन सकता है। एनएफएलडी के चलते सिरोसिस के कारण लिवर कैंसर हो जाता है और ऐसी कंडीशन में अक्सर हृदय रोग से मौत हो जाती है। एनएफएलडी एल्कोहल की वजह से तो नहीं होता, लेकिन इसकी खपत हो सकती है। प्रारंभिक अवस्था में यह रोग खत्म हो सकता है या वापस भी लौट सकता है। एक बार सिरोसिस बढ़ जाए तो लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है। ऐसा होने पर फ्रलुइड रिटेंशन, मांसपेशियों में नुकसान आंतरिक रक्तड्डाव, पीलिया और लिवर की विफलता जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। एनएफएलडी के लक्षणों में प्रमुख हैं- थकान, वजन घटना या भूख की कमी, कमजोरी, मितली, सोचने में परेशानी, दर्द, जिगर का बढ़ जाना और गले या बगल में काले रंग के ध्ब्बे।
एनएफएलडी का अक्सर तब पता चल पाता है जब लिवर की कार्य प्रणाली ठीक न पाई जाए, हेपेटाइटिस न होने की पुष्टि हो जाए। हालांकि, लिवर ब्लड टैस्ट सामान्य होने पर भी एनएफएलडी मौजूद हो सकता है। किसी भी बीमारी को और अधिक गंभीर स्तर तक आगे बढ़ने से रोकने के लिए कुछ हद तक जीवनशैली में परिवर्तन करने की जरूरत होती है।
यहां कुछ सरल जीवनशैली परिवर्तन सुझाए जा रहे हैं जो इस स्थिति से बचाव में कारगर हो सकते हैं
वजन संतुलित रखें फलों व सब्जियों का खूब सेवन करें प्रतिदिन न्यूनतम 30 मिनट शारीरिक व्यायाम करें एल्कोहल का सेवन सीमित करें या इसे लेने से बचें केवल आवश्यक दवाएं ही लेनी चाहिए और परहेज पर ध्यान दें