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Agency | Aug 12, 2021 | Social Update
‘आज के युवाओं को संदेश कि ..... अपना बसंती चोला रंग लो’
हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि यह आजादी जो कईयों के बलिदान के बाद हासिल हुई है, उसे बचाने के लिए वे भी बलिदान देने के लिए तैयार रहें। लेकिन हम तो सोचते हैं कि हम सिक्योर है।
गुलामी में जो हम पर बीता, देश पर बीता, उसे आज के दौर के लोगों ने नहीं देखा। दूसरी बात यह है कि जो-जो देश की खातिर फांसी के फंदे पर झूल गए, जिन्होंने लाठियां खाई, जिन्होंने काला पानी की सजा काटी..... उनकी जीवनी स्कूल-काॅलेज में लोगों को पढ़ने के लिए नहीं मिली। एक बात बताता हूं, पर किसी की निंदा नहीं कर रहा हूं। एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था और मेरे साथ जानी-मानी हीरोइन थीं। शाॅट के बीच में मुझे टाइम मिलता था, तो लिखने बैठ जाता था। उन्होंने मुझसे पूछा कि आप क्या लिख रहे है? मैने कहा कि भगत सिंह पर कहानी लिख रहा हूं। उनके एक्सप्रेशन से मुझे लगा कि इनसे पूछूं।
मैंने कहा-आप जानती हैं कि भगत सिंह कौन थे? उन्होंने कहा-ऑफ कोर्स, जानती हूं। मैने कहां-कौन थे? उन्होंने कहा-डाकू। उस वक्त मैने सोचा कि अब यह फिल्म तो जरूर बनाएंगे। अपने मित्र केवल कश्यप के साथ मिलकर फिल्म बनाई तो लोगों को लगा कि भगत सिंह कोई था। मैं सन् 1956 में मुंबई आया। शिवाजी पार्क में रहता था। पता लगा कि वीर सावरकर जी नजदीक में ही रहते है। कई बार उनसे मिलने गया तो उनके पांव दबाने का मौका मिला। मैं पंजाब गया तो भगत सिंह की माता जी के पांव छूने का मौका मिला। उनके लिए हाॅस्पिटल गया। बटुकेश्वर दत्त से मिला। मैने 1947 का बंटवारा और रिफ्रयूजी कैप देखा है। हमारे तन मन पर बीती है। तो आज की पीढ़ी को जितने जतन से दिखाना चाहिए हम दिखा नहीं पाए। हमारी जो सरकारें रहीं उन्होंने भगत सिंह, नेता सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद आदि जितने भी क्रांतिकारी हुए उनके बारे में बच्चों को पढ़ने नहीं दिया। बच्चों ने तो यही सुना कि दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल...। वह समझते हैं कि उन्हें ऐसे ही आजादी मिल गई।
आज के युवाओं को अपने कर्तव्य नहीं पता कि उन्हें देश के प्रति क्या करना है। उनको यही पता है कि अपने लिए क्या करना है। आज के युवाओं से यही कहूंगा कि अपना बसंती चोला रंग लो।’
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