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Avnish Jain | Sep 14, 2021 | Editorial
आराधना का पर्व है पर्युषण
पर्युषण महापर्व आध्यात्मिक पर्व है, इसका जो केन्द्रीय तत्त्व है, वह है-आत्मा। आत्मा के निरामय, ज्योतिर्मय स्वरूप को प्रकट करने में पर्युषण महापर्व अहम भूमिका निभाता रहता है। अध्यात्म यानि आत्मा की सन्निकटता। पर्युषण पर्व जैन एकता का प्रतीक पर्व है।
शांति और सुख की कामना के साथ जीवन सभी जीते हैं, लेकिन उसे खुली आंखों से देखते नहीं, जागते मन से जीते नहीं। इसीलिये जैन परम्परा में आध्यात्मिक पर्व पयुर्षण को मनाया जाता है जो इस वर्ष 4 सितम्बर से 11 सितम्बर, 2021 तक आयोजित हुआ। पर्युषण महापर्व के इन आठ दिनों में सभी जैन श्रद्धालुओं द्वारा तन और मन को साध्ननामय बना लेने के साथ मन को इतना मांज लेने का प्रयत्न किया जायेगा कि अतीत की त्राुटियां को दूर करते हुए भविष्य में कोई भी गलत कदम न उठे, इसकी तैयारी होगी। इन आठ दिनों में एक ऐसा मौसम ही नहीं, माहौल निर्मित किया जायेगा, जो हमारे जीवन की शुद्धि कर देगा। इस दृष्टि से यह पर्व आध्यात्मिकता के साथ-साथ जीवन उत्थान का पर्व है।
पर्युषण पर्व अंर्तआत्मा की आराध्नना का पर्व है- आत्मशोध्न का पर्व है, निद्रा त्यागने का पर्व है। सचमुच में पर्युषण पर्व एक ऐसा सवेरा है जो निद्रा से उठाकर जागृत अवस्था में ले जाता है। अज्ञानरूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश की ओर ले जाता है। तप, जप, स्वाध्याय की साध्नना करते हुए अपने आपको सुवासित करते हुए अंर्तआत्मा में लीन हो जाए जिससे हमारा जीवन सार्थक व सफल हो पाएगा।
पर्युषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है-आत्मा में अवस्थित होना। पर्युषण शब्द परि उपसर्ग व वस् धतु इसमें अन् प्रत्यय लगने से पर्युषण शब्द बनता है। पर्युषण का एक अर्थ है-कर्मों का नाश करना। कर्मरूपी शत्राुओं का नाश होगा तभी आत्मा अपने स्वरूप में अवस्थित होगी अतः यह पर्युषण-पर्व आत्मा का आत्मा में निवास करने की प्रेरणा देता है। यह पर्व मानव-मानव को जोड़ने व मानव हृदय को संशोधित करने का पर्व है, यह मन की खिड़कियों, रोशनदानों व दरवाजों को खोलने का पर्व है।
पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्क्रष्ट पर्व है, क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। संपूर्ण संसार में यही एक ऐसा उत्सव या पर्व है जिसमें आत्मरत होकर व्यक्ति आत्मार्थी बनता है व अलौकिक, आध्यात्मिक आनंद के शिखर पर आरोहण करता हुआ मोक्षगामी होने का सद्प्रयास करता है। जैनधर्म की त्याग प्रधान संस्कृति में पर्युषण पर्व का अपना अपूर्व एवं विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है। यह एकमात्रा आत्मशुद्धि का प्रेरक पर्व है। इसीलिए यह पर्व ही नहीं, महापर्व है। जैन लोगों का सर्वमान्य विशिष्टतम पर्व है। पर्युषण पर्व-जप, तप, साध्नना, आराध्नना ,उपासना, अनुप्रेक्षा, खाद्य संयम आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठानों का अवसर है।