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Agency | Feb 12, 2022 | Light Commercial Vehicles
इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं के लिए ड्रीम मेटल है : एल्युमिनियम
देश में ईवी या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मैन्युपफैक्चरिंग और बड़े पैमाने पर उनका चलन बढ़ाने में सरकार की नीतियां और आधुनिक तकनीक महत्वपूर्ण है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का चलन बढ़ने से एल्युमिनियम की मांग बहुत बढ़ जाएगी। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 2017-18 में ईवी की सेल्स 69,012 यूनिट की रही थी, जो 2019-20 में बढ़कर 1,67,041 यूनिट हो गई। इस ग्रोथ में टू-व्हीलर्स का अच्छा खासा योगदान है।
ईवी का चलन सपफल बनाने में एल्युमिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका है। इलेक्ट्रिक व्हीकल की मैन्युपफैक्चरिंग में एल्युमिनियम का उपयोग होता है और जरूरी चार्जिंग इंÚास्ट्रक्चर के लिए भी एल्युमिनियम की जरूरत होती है। एल्युमिनियम बहुत हल्की धतु होती है और बिजली की अच्छी सुचालक होती है, इसलिए ईवी के ज्यादातर कलपुर्जों में एल्युमिनियम का ही उपयोग होता है।
यह एल्युमिनियम सेक्टर के लिए अच्छा अवसर है, जो कि लंबे समय से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के साथ कदमताल कर रहा है। व्हीकल की बॉडी, दरवाजे, टंªक, हंड, बंपर, क्रैश बॉक्सेज, ब्रेक, केबल, व्हीकल आदि में एल्युमिनियम का उपयोग होता है। हालांकि अब एल्युमिनियम इंडस्ट्री में इनोवेशन की भी जरूरत है, जिससे प्रति व्हीकल एल्युमिनियम का उपयोग बढ़ाया जा सके। भारत में प्रति व्हीकल औसतन 29 किलोग्राम एल्युमिनियम का उपयोग होता है, जबकि विश्व में यह 160 किलोग्राम है। अनुमान है कि आने वाले समय में एक ईवी में करीब 250 किलोग्राम एल्युमिनियम की जरूरत होगी।
एल्युमिनियम बॉडी वाले ऑटोमोबाइल्स अन्य धातु की तुलना में महंगे होते हैं। यह एल्युमिनियम मार्केट के लिए रुकावट है। ईवी की डिमांड बढ़ने के बाद यह रुकावट दूर हो सकती है और कीमतें भी कम हो सकती है।
सरकार ने जो नीतियां लागू की हैं, उसमें व्हीकल्स में फ्रयूल-एपिफशियंट वेरिएंट्स, फ्रयूल-सेविंग, कार्बन एमिशन, कॉस्ट, रिपेयरिंग आदि में एल्युमिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। एल्युमिनियम में विभिन्न स्तरों पर इनोवेशन हो रहा है। उदाहरण के लिए ईवी की डिमांड को पूरा करने के लिए ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को व्हीकल मैन्युपफैक्चरिंग में बड़े बदलाव की जरूरत है, जिसमें कंबशन, कैलिब्रेशन, इंजेक्शन और सिलेंडर प्रेशर पर पफोकस रहेगा। ये जरूरते एल्युमिनियम के जरिए पूरी हो सकती है, जिसके लिए इनोवेशन के साथ ही टेक्नोलॉजी की भी मदद ली जा रही है।
डाउनस्ट्रीम एल्युमिनियम के नए एप्लीकेशंस में लाइटवेट बैटरी केसिंग और हीट एक्सचेंजर्स के अलावा ओवरआल इंटीग्रेशन शामिल है। यह अन्य मैटल्स की तुलना में स्टैªंथ-टु-वेट का अच्छा अनुपात ऑपफर करता है, क्रैश एनर्जी अच्छी खासी मात्रा में एब्जॉर्ब कर लेता है और इससे वेहिक्युलर परपफॉर्मेंस भी बढ़ता है। यह ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एल्युमिनियम का बड़ा योगदान है।
एल्युमिनियम हल्की होने के साथ ही इसमें लचीलापन भी होता है, जिसे किसी भी आकार में आसानी से ढाला जा सकता है। इसलिए इसे ऑटोमेकर्स के लिहाज से ड्रीम मेटल भी कहा जाता है। ईवी के जरिए प्रदूषण कम करने में भी एल्युमिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका है।