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Agency | Jul 13, 2022 | Taxation Update
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ध्यान रखें इन बदलावों को
जो लोग 31 दिसम्बर की ड्यू डेट से पहले ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें रिटर्न भरने से पहले फार्म में किए गए 6 प्रमुख बदलावों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। आयकर विभाग हर साल रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने व कंप्लायंस बढ़ाने के लिए रिटर्न फार्म में कुछ न कुछ बदलाव करता रहता है। इस बार 6 बदलाव किए गए हैं।
स्टाॅक डिटेल्स
1 लाख रुपये से अधिक के म्युचुअल फंड्स या इक्विटी शेयर्स से लोग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्सेबल हैं। लिस्टेड शेयर्स के लिए ग्रांडफादरिंग मैकेनिज्म लागू की गई है और 31जनवरी 2018 से पहले लो स्पेसिफाइड यूनिट्स परचेज किए गए हैं, उन पर टैक्स नहीं लगेगा। इसको डिटेल में जानने के लिए आईटीआर फाॅर्म में एक सेपरेट शेडयूल 112ए इंट्रोडयूस किया गया है। इसमें किसी कम्पनी के शेयरों या इक्विटी-ओरिएंटेड फंड की यूनिट को सेल किए जाने की जानकारी देनी होगी, जिन पर सेक्शन 112ए के तहत सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) लगा हो।
कंसलटेंसी फर्म डिलाॅइट इंडिया की पार्टनर ताप्ती घोष ने कहा कि फाॅर्म में स्टाॅक-वाइज डिटेल्स देने की जरूरत सिर्फ ऐसे एलटीसीजी रिपोटिंग के लिए है, जिनके लिए ग्रांडफादरिंग का बेनिफिट लेना हो। इसका आकलन 31 जनवरी 2018 को प्रत्येक शेयर या यूनिट की काॅस्ट, सेल और मार्केट प्राइस शेयर या यूनिट के आधर पर किया जाएगा, इसलिए डिटेल देने की जरूरत है। फाॅर्म में कुछ अन्य डिटेल्स देने की भी जरूरत हैं।
टैक्स फाइलिंग पोर्टल इंडिया फाइलिंग्स के चीफ टेक्नोलाॅजी ऑफ़िसर दाफने आनंद ने कहा कि शेडयूल 112ए में टैक्सपेयर को इंटरनेशनल सिक्योरिटीज आइडेंटिफिकेशन नम्बर (आईएसआईएन), स्क्रिप का नाम, यूनिट्स या शेयर की संख्या, सेल प्राइस, परचेज काॅस्ट और फेयर मार्केट वेल्यू (एफएमवी) की जानकारी देनी होगीा। ये डिटेल्स टैक्सपेयर के स्टाॅक स्टेटमेंट्स से हासिल किए जा सकते हैं। जो शेयर या यूनिट 31 जनवरी 2018 के बाद खरीदे गए हैं, उनका स्क्रिप-वाइज डिटेल देने की जरूरत नहीं है, कंसोलिडेटेड एंट्री पर्याप्त है।
ताप्ती घोष ने कहा कि इस रिपोर्टिंग रिक्वायरमेंट के बगैर ऐसी स्थिति बन सकती है कि टैक्सपेयर ग्रांडफादरिंग बेनिपिफट के लिए क्लेम नहीं कर सके या गलत क्लेम कर ले। स्क्रिम-वाइज डिटेल्स से टैक्स अथाॅरिटीज को डिटेल्स स्टाॅक एक्सचेंजेज व ब्रोकरेज कंपनियों के साथ इलेक्ट्राॅनिकली क्राॅस-वेरीफाई करने में मदद मिलेगी।
टैक्स सेविंग डिटेल्स
कोविड क्राइसिस के कारण टैक्स डिपार्टमेंट ने 31 मार्च 2020 की बजाय 31 जुलाई 2020 तक किए गए इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत क्लेम डिडक्शन की अनुमति दी है। इसके लिए आईटीआर फाॅर्म के नए शेडयूल के तहत डिटेल्स देनी होगी। अगर फाइनंशियल इयर 2019-20 में बेनिपिफट नहीं लेना है तो यह काॅलम खाली छोड़ा जा सकता है। इसका लाभ 2020-21 में लिया जा सकता है।
सेक्शन 80डी (मेडिकल इंश्योरेंस) के तहत क्लेम के लिए अलग से जानकारी देनी होती है। इसमें स्वयं, परिवार और पेरेंट्स (सीनियर सिटीजन्स सहित) के लिए कितना प्रीमियम दिया गया है, उसका उल्लेख करना होगा। इससे पहले सेक्शन 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के कंसोलिडेटेड एमाउंट की जानकारी देनी होती थी।
अन्य बदलाव
टैक्स रिफंड के लिए एक से अधिक बैंक खातों की जानकारी दी जा सकती है। वहीं आईटीआर-2 के हाउस प्रोपर्टी शेडयूल में को-ओनर या टेनेंट्स के परमानेंट एकांउट नंबर (पैन) या आधर का उल्लेख जरूरी है। आईटीआर-2 के कैपिटल गेन शेडयूल में भी इमूवेबल प्रोपर्टी के बाॅयर का पैन या आधर देना होगा। पहले इन दोनों मामलों में केवल पैन नंबर ही देना होता था।
अगर बगैर डिडक्शन ग्रास टैक्सेबल इनकम 2.5 लाख रुपए से कम है तो आईटीआर फाॅर्म भरने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि कुछ स्पेसिफाइड ट्रांजेक्शन किए हैं तो आईटीआर फाइल कर फाॅर्म में उनकी जानकारी देना जरूरी है। एक या अधिक करेंट एकाउंट्स में एक करोड़ से ज्यादा राशि डिपाॅजिट, विदेश यात्राओं पर 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च और एक लाख रुपए से ज्यादा का बिजली बिल चुकाया है तो इस तरह के लेन-देन स्पेसिफाइड ट्रांजेक्शन में शामिल हैं।