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Rajeev Gupta | Apr 24, 2021 | Social Update
राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से
लोक स्वर आगरा
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पूरा विश्व कोविड-19 की महामारी से त्रस्त है |हर जगह आपाधापी की सी स्थिति है लोग अपनी जान बचाने के लिए अपनी तिजोरी खोल के रख रहे हैं परंतु ना अस्पताल हैं ना दवाइयां हैं ना साधन है ना संसाधन है चारों तरफ मृत्यु का तांडव है| ऐसी ही विश्व में अनेक बीमारियों द्वारा कई बार तांडव किया है | कोविड-19 की तरह ही बीसवीं सदी में के शुरू में अफ्रीका में मलेरिया का जो तांडव था उसी महामारी को खत्म करने के लिए अभियान व मलेरिया महामारी के विषय में जागरूक करने के लिए हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है |
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास
विश्व मलेरिया दिवस की शुरुआत अफ्रीकी मलेरिया दिवस के रूप में वर्ष 2001 के बाद अफ्रीकी सरकारों द्वारा मनाया जाने लगा क्योंकि मलेरिया महामारी का तांडव जो अफ्रीकी देशों में था उससे इसकी मृत्यु दर को घटाना बहुत ही आवश्यक हो गया था जोकि वर्ष 2008 तक मनाया गया |विश्व स्वस्थ संगठन के 60वे हुए सत्र वर्ष 2007 में द्वारा प्रायोजित एक बैठक में दुनिया भर के देशों में मलेरिया के अस्तित्व की पहचान करने और लोगों को जागरूकता लाने के लिए अफ्रीकी मलेरिया दिवस को विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया ताकि मलेरिया जैसे रोग से विश्व स्तर पर लड़ने का प्रयास किया जा सके |
विश्व स्वास्थ्य संगठन के उन आठ अधिकारिक वैश्विक सामुदायिक स्वास्थ्य अभियान में से एक विश्व मलेरिया दिवस उसका हिस्सा बना ।विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिन्हित किए गए **विश्व स्वास्थ्य दिवस ,विश्व रक्तदाता दिवस, विश्व टीकाकरण सप्ताह, विश्व तपेदिक दिवस ,विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस एवं विश्व एड्स दिवस है *।
विश्व मलेरिया दिवस का उद्देश्य
25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस इस बात की लिए मनाया जाता है ताकि मलेरिया के नियंत्रण हेतु किस प्रकार से वैश्विक प्रयास किए जा सकते हैं और क्या प्रयास किए जा रहे हैं| पूरे विश्व में 3.3 अरब जनसंख्या में लगभग 106 से देश हैं जिनमें मलेरिया का खतरा है| वर्ष 2012 में मलेरिया के कारण लगभग 627000 की मृत्यु हुई थी जिसमें अधिकतर अफ्रीकी एशियाई लैटिन अमेरिकी बच्चे शामिल थे| इसका प्रभाव कुछ हद तक मध्य पूर्व तथा कुछ यूरोपी के भागों में भी था मलेरिया एक खतरनाक बीमारी विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आता है| मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवां देते हैं। प्रोटोजुअन प्लासमोडियम नामक कीटाणु के प्रमुख वाहक मादा एनोफिलीज मच्छर होते हैं जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैला देते हैं।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह है कि यह एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है सिर दर्द और मितली आने के साथ कपकँपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख होते हैं |मरीज हाथ पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस करता है |
मलेरिया से बचाव
मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाइयां छिड़कना ,गंबूशिया मछली के बच्चे छोड़ना आदि उपाय भी जरूरी है| यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुंचाने वाले मच्छरों के लावा पर पलती है| अगर आपको ध्यान हो तो दो दशक पहले कछुआ छाप ,गुड नाइट जैसी अनेक मच्छर भगाने वाली पद्धतियों ने मच्छरदानी को नई जीवनशैली के रूप में परिवर्तित भी किया था |
मलेरिया का इलाज
अगर हमें मलेरिया के लक्षण प्रतीत होते हैं तो हमें अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा करनी चाहिए| वैसे इसमें कुनैन की गोली इस रोग में सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाती है| बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है |मरीज को सुखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें | कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियां आ सकती हैं |इसके कारण मरीज को निर्जल की शिकायत भी होती है| याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं|
मलेरिया मुक्त विश्व का टारगेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2027 तक सभी देशों को मलेरिया मुक्त बनाए जाने का संकल्प है परंतु भारत में वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है|भारत के सात राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और राजस्थान में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए सरकार ने विश्व बैंक की मदद से सितम्बर, 1997 से 'परिष्कृत मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम' की शुरुआत की है।अन्य भारत में इसके लिए शासन स्तर पर कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं परंतु जिस तरीके से भारत में हर सरकारी काम में बलिदान व पलीता लगता है ।उसी प्रकार नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग व भारतीय नागरिकों में जागरूकता ना होने के कारण आज भी हम मलेरिया के दंश से मुक्त होने में काफी समय लगा रहे हैं| मलेरिया को 2030 तक क्या हम खत्म करने में सफल होंगे |
विश्व स्वास्थ्य दिवस
"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।"
आइए साथ मिलकर मलेरिया को अलविदा व लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें और स्वस्थ समाज के निर्माण में भागीदार बने।