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Agency | Jul 05, 2021 | Health and Fitness
कोरोना से जंग जीतने में मदद कर सकती है नेजल वैक्सीन
जानें क्या है नेजल वैक्सीन और कैसे करती है काम
भारत में आखिरकार कोरोना की दूसरी लहर में गिरावट दिख रही है और सरकार लोगों को टीका लगाने और उन्हें घातक वायरस की तीसरी लहर से बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसी क्रम में टीका का बड़े पैमाने पर उत्पादन और उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध् कराने के प्रयास तेज किए जा रहे है। प्रधनमंत्राी नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि देश में नेजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली) बनाने पर शोध् जारी है। उन्होंने कहा कि अगर यह शोध् कामयाब हुआ तो टीकाकरण की मुहिम में और तेजी आएगी। आइए जानते हैं कि नेजल वैक्सीन क्या है और यह कैसे काम करती है।
क्या है नेजल वैक्सीन और कैसे काम करती है
नेजल स्प्रे का लक्ष्य होता है कि वैक्सीन के डोज को सीध सांस के रास्ते पहुंचाया जाए ताकि यह वैक्सीन सीध उस जगह को अपना निशाना बनाएं जहां से कोविड-19 इंफेक्शन ने शरीर को अपने चपेट में लेना शुरू किया था। कोरोना के ज्यादातर मामलों में यह देखने को मिला है कि वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और म्येकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को संक्रमित करता है। ऐसे में हम अगर नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है। इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है और इस पर शोध् चल रहा है।
चार बूंद लेनी होगी
सूई वाले टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, उपरी फेफडे और नाक की रक्षा नहीं की जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि आप नेजल वैक्सीन की एक खुराक भी लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं। इससे आप संक्रमण की चेन को तोड़ सकेंगे। इसलिए केवल चार बूंद लेनी होगी। यह ठीक पोलियो की तरह, एक नथुने में दो और दूसरे में दो ड्राॅप।
यह हैं फायदे
- इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी
- इंजेक्शन नहीं होगा तो हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी
- नाक के अंदरूनी हिस्सों में प्रतिरक्षा तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा कम होगा।
- नेजल वैक्सीन का उत्पादन आसान होगा, जिससे वैक्सीन वेस्टेज की संभावना घटेगी।
- इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगे, स्टोरेज की समस्या कम होगी।
इंजेक्शन वैक्सीन से अलग कैसे
टीका लगाने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कुछ टीके इंजेक्शन के जरिए दिए जाते हैं तो कुछ ओरल दिए जाते हैं। जैसे पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन। वहीं कुछ वैक्सीन नाक के जरिए भी दी जाती है। इंजेक्टेड वैक्सीन को सुई की मदद से हमारी त्वचा पर इंजेक्ट कर लगाया जाता है। वहीं नेजल वैक्सीन को हाथों से या मुंह के जरिए नहीं नाक के जरिए दिया जाता है। इसके माध्यम से म्यूकोसल मेम्ब्रेन में मौजूद वायरस को निशाना बनाया जाता है। वहीं इंट्रामस्क्युलर टीके या इंजेक्शन, म्यूकोसा से ऐसी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में सपफल नहीं हो पाते हैं और शरीर के अन्य भागों से प्रतिरक्षा पर निर्भर करते हैं।
भारत बायोटेक बना रहा है नाक वाली वैक्सीन
भारत बायोटेक देश में नेजल वैक्सीन बना रहा है। वर्तमान में इसका पहले चरण का ट्रायल चल रहा है। अप्रैल में ही हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कम्पनी की इंट्रानेजल वैक्सीन, बीबीवी154 के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी मिली थी। यह मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई है। माना जा रहा है कि तीन से चार महीने में दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने कोरोना की इंजेक्शन वाली वैक्सीन कोवैक्सीन बनाई है। कोवैक्सीन का इस्तेमाल देश में टीकाकरण अभियान में किया जा रहा है।
कनाडा की सैनोटाइज नेभी नेजल स्प्रे बनाया
कनाडा की कम्पनी सेनोटाइज ने दावा किया है कि उसने ऐसा नैजल स्प्रे बनाया है जो 99.99 पफीसदी कोरोना वायरस को खत्म कर देता है। इस कम्पनी का दावा है कि यह स्प्रे कोरोना से बीमार लोगों को जल्दी ठीक कर देगा। कम्पनी ने कहा कि उनका नाक में डालने वाला स्प्रे हवा में ही कोरोना वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है। इस नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे को मरीजों को खुद अपनी नाक में डालना होता है। यह नाक में वायरल लोड को कम कर देता है। इससे न तो वायरस पनप पाता है और न ही फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचा पाता है। इस नेजल स्प्रे का परीक्षण अमेरिका और ब्रिटेन में सफल रहा है। सैनोटाइज का दावा है कि नेजल स्प्रे ने 24 घंटे के भीतर वायरल लोड को 95 फीसदी घटाकर कम कर दिया। इतना ही नहीं 72 घंटों में 99 फीसदी वायरल लोड कम हो गया।
कोडाजेनिक्स सीरम के साथ मिलकर बना रही
पुणे की कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अमेरिकी कम्पनी कोडाजेनिक्स मिलकर नाक से दी जाने वाली वैक्सीन बना रही है। वैक्सीन कैंडिडेट ने जानवरों पर अपना प्री क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है। वर्तमान में इसका पहले चरण का परीक्षण चल रहा है। कोडाजेनिक्स के अनुसार कोवी वैक ने प्री-क्लिनिकल स्टडी में सेफ और इफेक्टिवनेस दिखाई है।