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Agency | Jul 29, 2021 | Expert View
अनादरित चेक के भुगतान नोटिस के 5 माह पश्चात शिकायत दर्ज करने की कार्यवाही अवधि पार अप्रभावी
ईलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल के समक्ष एक याचिका भारतीय परिक्राम्य अधिनियम 1981 की धारा 142 (1) (b) के अंतर्गत एक शिकायत को लेकर जो 6.2.2003 से पूर्व 5 माह की समय सीमा के पश्चात दर्ज की गई थी। उस पर कार्यवाही को लेकर मनीष रस्तोगी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य संबंधित प्रकरण में विचारार्थ प्रस्तुत की गई। इसी संदर्भ में सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत भी आवेदन किया गया तथा शिकायत संख्या 4424 वर्ष 2007 पर कार्यवाही को निरस्त करने की भी मांग की गई। यह शिकायत अनवरगंज थाने में धारा 138 के अंतर्गत दायर की गई जो न्यायालय में लंबित है।
अपीलेंट की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि चेक 07.10.2006 को जारी किया गया था, जबकि यह चेक भुगतान हेतु 08.11.2006 को प्रस्तुत किया गया तथा खाता बंद कर दिए जाने के रिमार्क के साथ यह चेक पुनः शिकायतकर्ता के पास लौट आया था। इसके पश्चात चेक के भुगतान हेतु मांग पत्र 22.11.2006 को जारी किया गया तथा शिकायतकर्ता को 24.11.2006 को प्राप्त हो गया था, लेकिन शिकायत 22.06.2007 को दायर की गई। यह अवधि 5 माह से अधिक विलंबत के अंतर्गत धारा 142 (1) (b) के अंतर्गत यह शिकायत अवधि पार है तथा इस संबंध् में जो समन आदेश जारी किए गए हैं वे गैर कानूनी हैं। न्यायालय के समक्ष समयावधि को लेकर जो प्रश्न खड़ा किया गया है। इसी संबंध् में कानून की धारा 138 तथा 142, 30.10..2000 को प्रभावी थी। इसमें यह स्पष्ट था कि चेक प्रस्तुत करने पर अगर अनादरित होता है, तो चैक जारी करने वाला व्यक्ति दोषी होगा और उसको एक वर्ष की जेल की सजा हो सकती है तथा चेक की राशि से दुगुनी शास्ति भी आरोपित की जा सकती है, लेकिन इसको प्रभावी रूप से लागू करने के लिए यह आवश्यक है कि चेक की तिथि के छह माह की अवधि में चेक भुगतान हेतु प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा चेक अनादरित होने की जानकारी प्राप्त करने के 15 दिन के अंदर भुगतान की मांग के लिए नोटिस चेक जारी करने वाले को प्रेषित किया जाना चाहिए अर्थात बैंक से जिस दिन जानकारी प्राप्त होती है, उसके पंद्रह दिन में नोटिस जारी होना चाहिए। इसके बावजूद अगर चेक जारी करने वाले के द्वारा भुगतान पंद्रह दिन की अवधि में नहीं किया जाता है तो इस धारा के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है। इसमें ऋण व दायित्व के आशय यह है कि ऐसा दायित्व कानूनी तौर पर वसूल किए जाने योग्य होना चाहिए।
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न्यायालय ने कहा कि धारा 138 के अंतर्गत कार्यवाही के लिए यह आवश्यक है कि चेक छह माह की अवधि में भुगतान हेतु प्रस्तुत किया जाना चाहिए। चेक अनादरित होने पर नोटिस द्वारा भुगतान की मांग 30 दिन कीअवधि में करनी चाहिए। यह अवधि बैंक से जानकारी मिलने के साथ प्रभावी होगी तथा चेक जारी करने वाले व्यक्ति के द्वारा अपराध् सिद्ध होना चाहिए न्यायालय ने कहा कि धा रा 142 (1) (b) में स्पष्ट कहा गया है कि धारा 138 के अंतर्गत जब कार्यवाही की आवश्यकता है तो एक माह के अंदर ही शिकायत की जानी चाहिए। इसके साथ ही धरा 142 (1) (b) के अंतर्गत यह प्रोविजन भी संशोध्नन् कानून 55 वर्ष 2002 में 06.02.2003 से प्रभावी रूप से जोड़ा गया है कि न्यायालय एक माह की अवधि के पश्चात भी ऐसी शिकायत पर विचार कर सकता है, लेकिन ऐसा न्यायालय सभी तथ्यों व हालात से संतुष्ट होकर कर सकता है। वर्तमान प्रकरण के संदर्भ में न्यायालय ने कहा कि यह शिकायत एक माह से अध्कि अर्थात 5 माह से भी अधिक विलंब से की गई है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कानून के प्रावधान के अनुसार धारा 142(1) (b) के अंतर्गत यह शिकायत अवधि पार है। उपरोक्त तथ्यों के आधर पर न्यायालय ने अपीलेंट के इस आवेदन को स्वीकार करने का निर्णय सुनाया तथा शिकायत संख्या 4424 वर्ष 2007 के संदर्भ में थाना अनवर गंज में की जा रही कार्यवाही तथा कानपूर के MMXth न्यायालय में लंबित कार्यवाही को निरस्त करने का आदेश दिया।