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Agency | Feb 20, 2023 | Automobile News
ईवी कार ले रहे हैं तो किन बातों का रखें ध्यान
इन दिनों वाहनों पर सफेद अक्षर लिखी हरी प्लेट्स काफी नजर आने लगी हैं। ये नए जमाने के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की प्लेट्स हैं। हालांकि अभी इनकी संख्या कम है, लेकिन धीरे-धीरे इनका प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। सवाल यह है कि क्या वाकई इनका दायरा बढ़ता जा रहा है या ये केवल एक बुलबुला है जो जल्दी ही फूट जाएगा? यह सवाल इसलिए भी पूछा जा रहा है, क्योंकि बड़े कार निर्माता भी भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों पर ही फोकस कर रहे हैं। साल 2030-35 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक होने का भी लक्ष्य कई कार कंपनियों ने रखा है। लेकिन क्या हमारे पास इतने संसाध्नन हैं कि इन वाहनों की बैटरियों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की आपूर्ति हो सके?
ईवी के प्रति रुझान बढ़ने की एक बड़ी वजह प्रदूषण है। पेट्रोल या डीजल को बर्न करने वाला इंटरनल कम्बस्टन इंजन काफी घातक गैस रिलीज करता है और ईवी कारें इससे मुक्त हैं। हालांकि ईवी के लिए जो बैटरी इस्तेमाल में लाई जा रही हैं, उनके लिए भी कोबाल्ट, निकल, लिथियम, जिंक जैसी धतुओं की जरूरत है और इस कार्य के लिए भारी पैमाने पर जो खनन होगा, उसका पर्यावरण पर कितना असर पड़ेगा, यह एक अलग विवाद का विषय है। हां, इसमें कोई दो राय नहीं है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चलाने में सस्ते होंगे, ठीक-ठाक स्पीड भी होगी। न उसमें से धुआँ निकलेगा और न शोर का प्रदूषण होगा। वाइब्रेशन भी नहीं के बराबर होगा। तो कुल मिलाकर ईवी व्यक्तिगत स्तर पर तो कम्फर्टेबल रहेगी।
ईवी स्कूटर
ईवी कार की तुलना में ई-बाइक या ई स्कूटर की मौजूदगी ज्यादा तेज गति से बढ़ती जा रही है। भारत में सौ से भी अधिक कम्पनियां हैं, इनमें अधिकांश वे हैं, जो चीन से ही ई-स्कूटर आयात कर रही हैं। भारतीय कंपनियां बस इन चाइनीज स्कूटर्स की री-ब्रांडिंग कर उन्हें बेच रही हैं। फिर भी इन्हें खरीदने में अधिक समझदारी है, क्योंकि वे सुपर किफायती हैं, चार्ज करना आसान है और मैंटनेंस भी काफी सस्ता है।
ईवी कार
भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की तुलना में इलेक्ट्रिक कार का मार्केट अब भी धीमा है और इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि ये काफी महंगी हैं। अगर आप ईवी कार खरीदना चाह रहे हैं तो उसका सही चुनाव करने से पहले हमेशा इन पहलुओं को भी ध्यान में रखेंः-
रेंज की चिंता करें, क्योंकि बैटरी मौसम व बढ़ती उम्र के साथ अलग-अलग व्यवहार कर सकती है।
बैटरी चार्ज करने की गति और समय का ध्यान रखें। चाहें कंपनियां कितने भी दावे कर लें, चार्जिंग में काफी वक्त लगता है। चलते समय चार्जर की उपलब्ध्ता का भी ध्यान रखें।
बैटरी पैक की वजह से ईवी कारें सामान्य कारों की तुलना में 15 से 18 फीसदी तक भारी होती हैं। इसलिए ये सड़क पर सीधे चलने में अच्छी हैं, लेकिन मोड़ पर इनकी हैंडलिंग अपेक्षाकृत कठिन होती है।
इसकी रिसेल वैल्यू काफी कम होती है, क्योंकि इनकी बैटरी हर साल अपग्रेड होती है और सामान्य कार की तुलना में ईवी कार के नए माॅडल तेजी से आते हैं।
नेक्साॅन कार के दो वर्जन की तुलना
भारत में सबसे अधिक बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्साॅन है। हमने इसकी दो जनरेशन की कारों का रिव्यू किया। इसके नतीजे इस प्रकार हैः-
नेक्साॅन का पुराना वर्जन
रैंज: 200 किमी
चार्जिंग टाइम: 5% से 100% होने में 3.3 किलोवाॅट चार्जर से 9-10 घंटे का समय।
नेक्साॅन का नया वर्जन
रैंज: 300 किमी
चार्जिंग टाइम: 5% से 100% होने में 3.3 किलोवाॅट चार्जर से 12-13 घंटे का समय, 7 किलोवाॅट चार्जर से 6 घंटे।