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Avnish Jain | Nov 15, 2022 | Editorial
ऑटोमोबाइल उद्योग की चमक लौटी
अर्थव्यवस्था में गतिशीलता का संकेत
विश्व के सम्पन्न देश में अर्थव्यवस्था की चाल व गतिशीलता का आंकलन यात्राी कारों की बिक्री व सम्पूर्ण ऑटोमोबाइल उद्योग के उत्पादन के आधर पर भी किया जाता रहा है। भारत विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है और अधिकांश विश्लेषकों का भी यही कहना है कि आगामी 20 वर्षों तक भारत की उत्पादन लागत श्रम की लागत विश्व के अधिकांश सम्पन्न व विकासशील देशों की तुलना में कम रहेगी और भारत एक महत्वपूर्ण औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के रूप में विश्व पटल पर दस्तक देगा।
इस त्योहारी मौसम के दौरान भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग की बिक्री व उत्पादन भी आकर्षक स्तर पर ही है। हालांकि विश्लेषकों को तो इससे अधिक करोबार की उम्मीद थी, लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग की गतिशीलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत विश्व की सर्वाध्कि तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है। ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ अनेक उद्योगों की गतिशीलता व अस्तित्व जुड़ा हुआ है।
संभवतः औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र में यह संख्या सर्वाधिक कही जा सकती है। इसमें स्टील, टायर, रबर, इलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रिक फोर्जिंग एल्युमीनियम उद्योग भी शामिल है, तो वाहन के अंदर की फर्निशिंग का भी इस उद्योग में अपना महत्व है। करीब 150 से अधिक ऐसे छोटे-मोटे उद्योग हैं जो ऑटोमोबाइल उद्योग के परिचालन में सहयोगी होते हैं, जहां तक वाणिज्यिक वाहनों का प्रश्न है, यह उद्योग तो और अधिक उद्योगों की गतिशीलता से जुड़ा हुआ है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में भी रिकाॅर्ड तेजी दर्ज की गई है। प्रत्येक व्यक्ति अब दो पहिया वाहनों के संदर्भ में इलेक्ट्रिक वाहन को पसंद करता है, जिसकी बैटरी को रीचार्ज करके ही वाहन को सप्ताह में चार दिन तक चलाया जा सकता है और इससे परिचालन लागत में भी भारी गिरावट आई है, जबकि देश विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में नई अतिरिक्त क्षमता अर्जित करने का प्रयास कर रहा है और अधिकांश विद्युत उत्पादन क्षेत्र की कंपनियों ने सोलर पावर, वायु उर्जा के क्षेत्र में नए निवेश तेजी के साथ किए हैं, जहां विद्युत की लागत कोयला आधरित उर्जा के मुकाबले आध ही रह गई है। भारत विश्व का सबसे बड़ा सोलर पावर उर्जा सृजन करने वाला देश बन गया है और इस दिशा में सरकार का पूरा सहयोग भी उद्योगों को मिल रहा है। भारत की भौगोलिक स्थिति भी इस संदर्भ में अत्यधिक सहयोगी सिद्ध हो रही है, जहां पर्याप्त मरुस्थलीय क्षेत्र के साथ घने पहाड़ी क्षेत्र भी मौजूद हैं तो समुद्री तटीय क्षेत्र भी व्यापक स्तर पर उपलब्ध् है।
एक आकंलन के अनुसार कोविड-2019 के पश्चात पहली बार चालू वित्तीय वर्ष के त्योहारी मौसम में ऑटोमोबाइल उत्पादों की मांग में भारी तेजी दर्ज की गई है और इस उपभोक्ता मांग वृद्धि के कारण कंपनियों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। गत वर्ष अक्टूबर माह के दौरान देश में कारों की बिक्री 260000 थी जो चालू वर्ष के अक्टूबर माह के दौरान 29 प्रतिशत बढ़कर 337000 हो गई है। भारत में ऑटोमोबाइल डीलर्स के द्वारा आमतौर पर थोक डिस्पेजेज की ही जानकारी दी जाती है, जबकि खुदरा बिक्री तो बहुत अधिक रही है। वर्ष 2022 की जुलाई व सितंबर के पश्चात अक्टूबर के दौरान यह तीसरी बार सर्वाधिक बिक्री के आंकड़े सामने आए हैं। जुलाई 2022 के दौरान डिस्पेसेज 355000 वाहनों के थे और सितम्बर के दौरान यह संख्या 341000 के स्तर पर रही है अर्थात इन तीन महिनों के दौरान देश में कुल 10 लाख कारों की बिक्री अवश्य हुई है। यह कोविड पूर्व के रिकाॅर्ड से भी ज्यादा है।