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Agency | Dec 14, 2021 | Travelling Destinations
अल्मोरा: 40 मंदिरों के समूह के केंद्र में बना है सूर्य मंदिर
हिमालय की हिमाच्छदित पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा उत्तराखंड का अल्मोडा ऐसी जगह है, जहां कोणार्क के सूर्य मंन्दिर की तरह ही एक सूर्य मन्दिर है। पेरू के माचु-पिचु और इंग्लैंड के स्टोनहेंज के अलावा यहां एक ऐसी जगह भी है जहां एक खास चुंबकीय क्षेत्र पाया जाता है। स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक और डीएच लोरेंस से लेकर बाॅब डिलेन जैसी हस्तियां इस शहर की तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाई।
पटाल बाजार और लाला बाजार
पहाड़ के ढलानों की दोनों तरफ बसे अल्मोड़ा की भौगोलिक बसावट की वजह से कहा जाता है कि यह घोड़े की पीठ पर बसा शहर है। इस पहाड़ की पूर्वी ढलान को तेलीफट और पश्चिमी ढलान को सेलीफट कहा जाता है। ये दोनो हिस्से जहां मिलते हैं, उस रिज पर मशहूर पटाल बाजार और लाला बाजार स्थित है। पत्थर के पटालों के फर्श वाले इस बाजार की चहल-पहल देखने लायक होती है। बाजार की दुकानों और इसके आस-पास के घरों की काष्ठकला और स्थापत्य आपको विशेष आकर्षित करती हैं।
हजार साल पुराना नंदा देवी मंदिर
कोसी और सुयाल नदियों के किनारे पहाड़ी पर बसे अल्मोड़ा के मुख्य बाजार के पास ही बना नंदा देवी मंदिर एक खास सांस्कृतिक महत्व रखता है। लकड़ी की खूबसूरत छत के बीच बने पत्थर के विशाल अमलका या मुकुट वाली इमारत हजार साल से भी पुराने इस मंदिर की खास पहचान है। यहां बीते चार सौ सालों से सितम्बर में अष्टमी के दिन नंदा देवी का मेला लगता है जिसमें कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। अगर आप इस समय यहां हो तो शहर में निकलने वाली नंदा देवी की झांकी भी आपको जरूर देखनी चाहिए।
गुप्त ऊर्जा से सराबोर कसार देवी
अल्मोड़ा शहर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर मौजूद कसार देवी न केवल खूबसूरत जगह है, बल्कि अपनी खास भौगोलिक बसावट की वजह से भी नासा जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के भू-वैज्ञानिकों और शोध्कर्ताओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। कसार गांव में मौजूद कसार देवी का मंदिर ‘वैन एलन रेडिएशन बेल्ट’ नाम के खास भू-चुम्बकीय क्षेत्रा में आने वाली उन तीन जगहों में से एक है, जहां मौजूद भू-चुम्बकीय पट्टी में दुनियाभर में सबसे ज्यादा उफर्जा है। माना जाता है कि यह मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर के आस-पास मौजूद काॅस्मिक एनर्जी की वजह से यह ध्यान करने के लिए बेहतरीन जगह मानी जाती है। कसार देवी में मौजूद ‘हिप्पी हिल’ इस बात की गवाही देती है कि एक दौर में यह जगह हिप्पी मूवमेंट का गढ़ भी रही थी।
कटारमल का सूर्य मंदिर
अल्मोड़ा से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर बसा कटारमल सूर्य मंदिर देश के 12 विरले सूर्य मंदिरों में शुमार है। कटारमल गांव से स्थानीय पत्थरों से बने रास्ते पर करीब आध किलोमीटर का ट्रैक करके आप यहां पहुंचते है। नवीं शताब्दी में कत्यूरी वंश के राजा कटारमल द्वारा बनाया गया यह मंदिर आर्कियोलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित है। मुख्य मंदिर करीब चालीस छोटे-बड़े मंदिरों के समूह के केंद्र में बना है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने बने एक छोटे मंदिर में एक छिद्र बना है जिससे साल में दो बार सूर्य की पहली किरण सीधे गर्भग्रह में प्रवेश करती है, जिससे इसके स्थापत्य की विशिष्टिता का पता चलता है। कहां जाता है कि यहाँ मौजूद एक मूर्ति को चोरी कर लिया गया था जिसके बाद गर्भग्रह के उत्कीर्णित काष्ठ के बने खास दरवाजे को सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है।
भगवान का अनोखा न्यायालय
अल्मोड़ा के पास ही चितई में गोलू देवता का मंदिर है, जिसे स्थानीय लोग न्याय का देवता मानते है। खास बात यह है कि लोग यहां स्टाम्प पेपर पर मन्नते और शिकायतें लिखकर इसे घंटियों के साथ बांध् देते हैं। देवदार के घने जंगलों के बीच बसे इस मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि एक दिन स्टाम्प पेपर पर लिखी इन अर्जियों की सुनवाई होगी और पहाड़ के यह लोक-देवता उन्हें इंसाफ दिलाएंगे।
कब जाएं
अगस्त से नवम्बर के बीच यहां आकर आप गुनगुनी धूप का आनंद उठा सकते हैं। पफरवरी से मई के बीच भी यहां का मौसम खुशनुमा बना रहा है।
कैसे जाएं
नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जहां से टैक्सी से तीन घंटे में अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता है। पंतनगर तक हवाई सेवा भी मौजूद है। वहां से कैब लेकर करीब पांच घंटे में आप अल्मोड़ा पहुंच सकते हैं।