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agency | Dec 28, 2022 | Health and Fitness
कमर दर्द की समस्या का एडवांस ट्रीटमेंट
रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण भाग होता है। वास्तव में रीढ की हड्डी एक ऐसा जटिल अंग है जो शरीर के उपरी भाग छाती और बांह से लेकर निचले भाग पेल्विस और पैरों को एक साथ जोड़ती है। रीढ़ की हड्डी शरीर को मजबूत बनाती है और ताकत देती है। इस मोबिलिटी से शरीर का झुकना, मुड़ना आदि संभव हो पाता है साथ ही खड़े होना, उठना और बैठने की ताकत भी मिलती है। इसलिए रीढ की हड्डी का सही ढंग से काम करना बेहद आवश्यक है ताकि रोजमर्रा के सभी कार्य आसानी से किए जा सकें। लेकिन, रीढ़ की हड्डी कमर या पीठ मे दर्द होने से रोजमर्रा के कार्यों को करने में दिक्कत आ सकती है।
पांच में से चार लोग अपनी लाइफ में कभी न कभी पीठ दर्द का अनुभव जरूर करते हैं। जुकाम के बाद पीठ दर्द ही वह समस्या है जो 45 की उम्र के बाद काम करने की घटती क्षमता का बड़ा कारण होती है। पुरुष और महिलाएं सभी इससे प्रभावित होते हैं। अधिकतर पीठ दर्द 25 से 60 साल के उम्र के बीच में होता है। कई बार पीठ दर्द मामूली होता है और 3 से 6 सप्ताह में अपने आप उपचार या बिना उपचार ठीक हो जाता है। लेकिन अगर दर्द 3 महीने से एक साल तक रहे तो उसे क्रोनिक कहा जाता है।
रीढ़ की हड्डी की मुख्य समस्याएं
माइलोयोपैथी
इसमें रीढ़ की हड्डी धीरे-धीरे पतली होती जाती है।
हार्नियेटिड डिस्क, विकारग्रस्त डिस्क स्टेनोसिस
कमर दर्द का निदान
एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, माइलोग्राम, बोन स्कैन, सुन्नपन, सियाटिका, क्रोनिक पेन
कमजोरी, कड़ापन व सख्त हड्डी
ऐसे लोग जो पीठ दर्द के मरीज होते हैं , वे अपने आप से यही सवाल करते हैं कि क्या मैं इस समस्या से निजात पा सकता हूं? उनके लिए जबाव है-हां। 95 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है और वे समय के साथ ठीक हो जाते हैं।
उपचार
कई मरीजों को सर्जरी का नाम सुनकर लगता है कि वे सर्जरी कराके इस समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन वे गलत होते हैं। अगर सर्जरी सही तरीके से न की जाए तो मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। निर्धरित विकारों के लिए ही सर्जनी की जानी चाहिए और सर्जरी को सदैव आखिरी विकल्प मानकर चलना चाहिए।
सर्जरी दो प्रकार की होती है
डीकंप्रेशन, स्टेबिलाइजेशन
मुख्य सर्जरी
एंटीरियर लंबर इंटरबाॅडी फ्रयूजन यानि एलिफ-जो लोग पीठ और पैर दर्द से जूझते हैं उनके लिए एलिफ उपयुक्त उपचार है। यह दर्द आमतौर पर डिस्क के प्राकृतिक तौर पर घिसने से होता है।
लेमिनेक्टोमी
रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में एक या एक से अधिक नस पर पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए यह सर्जनी की जाती है। लेमिनेक्टोमी का अर्थ बनता है-प्रभावित भाग को लेमिना और एक्टोनी को निकालना कहते हैं यानी प्रभावित भाग को निकालना।
लंबर माइक्रोडिसेक्टोमी
ये वह ऑपरेशन होता है जो कि सर्जिकल माइक्रोस्कोप की मदद से लंबर स्पाइन पर किया जाता है।
मिनीमली इंवेसिव लंबर लैमिनोटोमी और डिसेक्टोमी
इस प्रक्रिया में हार्नियेटिड डिस्क वाले भाग में नीचे की मांसपेशियों में छोटे टनल के माध्यम से सर्जरी की जाती है। जबकि डिसेक्टोमी में अधिक हिस्से को काटा जाता है और मांसपेशियों को हटाकर चिकित्सक हर्नियेटिड डिस्क देखता है।
स्पाइनल फ्रयूजन
फ्रेकचेर या वटिब्रल जोड़ की दो हड्डियों को जोड़ने की प्रक्रिया को स्पाइनल फ्यूल यूजन कहते हैं।