+91-9414076426
Agency | Jul 30, 2021 | Expert View
क्या है टीडीएस का नया प्रोवीजन 194Q?
टीडीएस नहीं काटने/जमा कराने का क्या परिणाम होगा
आयकर कानूनों की धारा 40 (ia) के अनुसार किसी निवासी को यदि एक ऐसी रकम का भुगतान किया गया है जिस पर टीडीएस काटना है लेकिन काटा नहीं गया है और यदि काटा गया है और आयकर रिटर्न भरने के लिए जो धारा 139 (1) में समय दिया गया है उस तक जमा नहीं कराया गया है तो जिस ‘‘रकम’’ पर टीडीएस काटना और जमा कराना है उस रकम का 30% उस व्यक्ति की आय में जोड़ दिया जाएगा। यह प्रावधान टीडीएस की धरा 194Q के तहत आने वाले टीडीएस पर भी लागू होगा इसलिए जहां भी टीडीएस के प्रावधन लागू होते हैं वहां टीडीएस अवश्य जमा कराना चाहिए क्योंकि माल के खरीद की रकम हमेशा बहुत ज्यादा होती है और उसका 30 प्रतिशत यदि अस्वीकार/अमान्य कर आय में जोड़ दिया जाए तो कर का काफी अधिक नुकसान हो सकता है और पिफर जब एक नियत तिथि, जो कि आयकर रिटर्न भरने की धारा 138 (1) में दी हुई तिथि होती है, के बाद आप टीडीएस जमा भी कराएं और उस वर्ष जिसमें आपने टीडीएस जमा कराया है, में आपको इतनी बड़ी रकम की छूट मिले तो भी उसका कोई महत्व नहीं होता है।
टीडीएस कब नहीं काटना है
इस सम्बन्ध् में उपर लिखी सभी शर्ते पूरी होने पर यदि टीडीएस काटने का दायित्व क्रेता का बनता है तो भी उसे यह टीडीएस नहीं काटना है और ऐसी दो स्थितियां बनती हैः-
(i) जबकि आयकर कानून के तहत किसी अन्य प्रावधन के अंतर्गत इस खरीद के व्यवहार पर टीडीएस काटा जाना हो।
(ii) जबकि उस व्यवहार पर विक्रेता द्वारा 206Cमाल के विक्रय पर लागू टीसीएस प्रावधन धरा 206(C) (1H)को छोड़ते हुएद्ध के तहत टीसीएस काटने के योग्य है तो वहां टीडीएस के प्रावधन लागू नहीं होते हैं।
यहाँ यह ध्यान रखें कि धरा 206C में टीसीएस के जितने भी प्रावधन है उनमें से 206(C) (1H) को छोड़ते हुए किसी में भी टीसीएस काटा जाना है तो पिफर इस धरा के तहत टीडीएस नहीं काटा जाना है। लेकिन इस अपवाद से माल की बिक्री पर काटे जाने वाले टीसीएस को बाहर रखा गया है जो कि धरा 206C (1H) में है और यहीं से धरा 194Q और धरा 206C (1H)का सम्बन्ध् शुरू होता है जिसे मैंने आगे एक उदाहरण के माध्यम से समझाया है लेकिन यहाँ यह ध्यान रखें कि यदि कोई व्यवहार माल के क्रय पर टीडीएस धरा 194Q के तहत आता हो और साथ ही धरा 206C (1H))के तहत भी आता हो तो उस पर क्रेता ही टीडीएस काटेगा और यदि उसने टीडीएस काट लिया है तो ऐसे व्यवहार पर विक्रेता को धरा 206C (1H) के तहत टीसीएस काटने की आवश्यक नहीं है 206C (1H) का Second Proviso एवं बजट मेमोरेंडम वित्त विध्यक 2021 पेज (76)।
कुछ उदाहरण
आइये अब कुछ ऐसे उदाहरण देखें जिन में माल की खरीद पर टीडीएस धरा 194Q माल की बिक्री पर टीसीएस 206C (1H) और एक ही व्यवहार पर दोनों ही प्रावधान लागू होते है।
उदाहरण-1
X एक क्रेता है जो Yनामक एक विक्रेता से 70 लाख रुपये का माल खरीदता है। X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नओवर 15 करोड़ रुपये है लेकिन Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर इसी अवधि में केवल 5 करोड़ रूपये है। माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है।
इस व्यवहार पर केवल धारा 194Q लागू होता है और X को इस व्यवहार में 70 लाख रूपये में से 50 लाख घटा कर 0.1ः टीडीएस काटना है। इसके बाद 31 मार्च 2022 तक Y से होने वाली हर खरीद पर जितने रकम की भी खरीद हो उस पूरी रकम पर 0.1% टीडीएस काटना है।
उदाहरण-2
X एक क्रेता है जो ल् नामक एक विक्रेता से 70 लाख रुपये का माल खरीदता है। X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नआोवर 5 करोड़ रुपये है लेकिन Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर इसी अवधि में केवल 15 करोड़ रुपये है। माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है।
इस व्यवहार में 194Q लागू नहीं होगा क्योंकि यहाँ क्रेता का टर्नओवर 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए 10 करोड़ रुपये से अध्कि नहीं है लेकिन चूँकि विक्रेता का टर्नओवर इस अवध् िके दौरान 10 करोड़ से अधिक था जो कि धरा 206C(1H) की सीमा भी है इसलिए इस व्यवहार पर इस धरा के तहत 70 लाख रुपये के भुगतान के समय विक्रेता 50 लाख रुपये को घटाकर 20 लाख रुपये पर 0.1% की दर से धारा 206C (1H) के तहत टीसीएस एकत्रा कर जमा करायेगा।
उदाहरण-3
Xएक क्रेता है जो ल् नामक एक विक्रेता से 70 लाख रुपये का माल खरीदता है। X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नओवर 15 करोड़ रुपये है और Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर भी इसी अवधि में 20 करोड़ रुपये है। माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है।
यही एक ऐसा उदाहरण है जिसके तहत धरा 194Q और धारा 206C (1H) दोनों की शर्ते पूरी होती है क्योंकि क्रेता और विक्रेता दोनों का ही टर्नओवर 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के दौरान 10 करोड़ रुपये से अधिक था और माल की खरीद/भुगतान की राशि भी 50 लाख रुपये से अध्कि है। लेकिन यहाँ ध्यान रखें कि इस तरह के व्यवहार पर केवल टीडीएस ही काटा जाएगा जो कि क्रेता द्वारा माल की खरीद के समय काटा जाना है। जहाँ क्रेता पर टीडीएस के प्रावधन लागू होते है और टीडीएस काटा भी जाता है वहां धारा 206C (1H) के तहत माल की बिक्री पर लागू होने वाला टीसीएस लागू नहीं होता है।