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Agency | Jul 05, 2021 | 100 Steps of Success
सम्पूर्णता का रास्ता ही सफलता तक जाता है
आप जो भी काम करें, उसे पूर्ण क्षमता, प्रतिबद्धता एवं समयबद्धता के साथ करें। आप जब भी काम करें, अपने काम के प्रति पूर्णतः समर्मित होकर ही करें। अपने कार्य को इतनी पूर्णता दें कि कत्र्ता और कार्य के बीच कोई द्वैत ही न रहे। याद रखें, द्वैत के मिटने पर ही आप सफलता को उपलब्ध हो सकते है।
आप अपने दैनिक कार्यों को भी पूर्ण तन्मयता, समयबद्धता और आनन्द के साथ सम्पन्न करें। पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों का सौहार्दपूर्ण एवं सम्पूर्ण विश्वास के साथ निर्वहन करें। थोड़ा सा अधूरापन ही दिन भर के कार्यों को प्रभावित कर देता है।
जिस प्रकार पानी के बड़े से बड़े टैंक को खाली करने के लिए एक छोटा सा छेद ही काफी होता है, उसी प्रकार बड़ी से बड़ी सफलता को विफलता में बदलने के लिए कोई छोटा सा अधूरापन ही पर्याप्त होता है इसलिए आधे-अधूरे मन से कोई काम न करें और किसी कार्य में कोई अधूरापन न छोड़ें।
स्वस्थ तन, स्वस्थ मन, स्वस्थ धन और स्वस्थ वातावरण के माध्यम से ही आप स्वस्थ सफलता का वरण कर सकते हैं। जो भी कार्य हाथ में है, उसे पूर्ण स्वच्छता, स्वस्थता और लग्नता के साथ करते रहें, सम्पूर्णता तो अपने-आप ही उपलब्ध होती चली जायेगी। यदि आप दूसरों की निष्क्रियता और अयोग्यता के आधार पर सफल होना चाहेंगे तो ऐसी सफलता अधूरी एवं अस्थायी ही होगी।
क्या आप अपने आधे शरीर के साथ काम पर जा सकते हैं़? क्या आप अपने आधे-अधूरे दिमाग व मन के साथ काम करते हुए पूरी सफलता पा सकतें है? हर्गिज नहीं। इसलिए जो भी कार्य करें, पूरे तन, मन और मस्तिष्क के साथ करें। यही समग्रता है और समग्रता ही सफलता है।
हमारी आन्तरिक शक्तियां हमें कठिनाइयों से उबारने में सक्षम हैं, बशर्ते कि हम इनका समग्र, समुचित और सही समय पर सदुपयोग करने में दक्ष हों।
हमारी दक्षता ही हमारे कार्यों की गुणवता का मापदण्ड होती है। और दक्षता काम करने पर ही अर्जित हो सकती है इसलिए अपने उपलब्ध संसाधनों के साथ समग्रता से कार्य करते चलें, दक्षता तो स्वतः ही प्राप्त होती चली जायेगी और दक्षता के सामने आपकी छोटी-मोटी कमजोरियां गौण हो जायेंगी।
खण्ड, खण्ड नहीं, अखण्ड को स्वीकार करें। पिण्ड, पिण्ड नहीं, समूचे ब्रह्माण्ड को अंगीकार करें। पूर्णता के मार्ग में विद्यमान पाखण्ड रूपी अवरोधों को अपनी अखण्डता से पार करें। याद रखें, अखण्ड ही खण्डित होने पर विस्फोटक बन जाता है इसलिए अपने किसी कार्य को विस्फोटक न बनायें। समग्रता के साथ अपनी अखण्डता को उपयोगी बनाते चलें।
अपनी क्षमताओं का समग्र विकास करें, अपनी दक्षताओं पर पूरा विश्वास करें। पूरा काम करें और पूरा विश्राम करें। एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए अपने चौबीस बीस घण्टों में अड़तालीस घण्टों का काम करें। याद रखें, समग्रता के बिना व्यस्तता व्यर्थ है और महज व्यस्त रहने से ही सफलता नहीं मिलती, समग्रता के साथ व्यस्त रहने वाला ही कुछ सार्थक कर सकता है। अपने काम पर विश्वास करें किन्तु दूसरों को रामभरोसे रहने की शिक्षा न दें।
अपने वर्तमान को समग्रता के साथ जीयें। हर बून्द को सागर समझ कर पीएं। और तब जो कुछ भी उपलब्ध होगा, वह सम्पूर्णता से आबद्ध होगा। याद रखें, आपकी सभी निधियों को चुराया जा सकता है, किन्तु सिद्धियों और प्रसिद्धियों को चुराया नहीं जा सकता।
आपका सब कुछ चुराया जा सकता है, किन्तु आपकी क्षमताओं और दक्षताओं को चुराया नहीं जा सकता। जो भी करें, समग्रता के साथ करें। भले ही चूहे-दानियां ही सही, अगर आप इन्हें दूसरों से बेहतर बनाते हैं तो आपकी चूहे-दानियां औरों से अधिक बिकेंगी।
दृष्टान्त
महान वैज्ञानिक मैडम क्यूरी एक सवाल को कई दिनों से हल कर रही थी किन्तु हल नहीं हो पा रहा था। एक दिन सोने से पहले मैडम ने सवाल को हल करना चाहा। कागज पर बार-बार कुछ लिखा, किन्तु पूरी तरह हल नहीं हुआ। हल के नजदीक तो पहंुच गई थी किन्तु गणना में कहीं गड़बड़ी थी। हार कर मैडम ने कागज को सिरहाने रखा और सो गई। सुबह उठने पर जब मैडम क्यूरी ने कागज उठा कर देखा तो हैरान रह गई। सवाल तो हल हो चुका था। समझ में नहीं आ रहा था कि रात में इसे हल किसने किया ? लेकिन जब गौर से देखा तो पता चला कि कागज पर लिखावट उसी की थी। इस पर मैडम और भी आश्चर्यचकित थी कि उसने कब और कैसे लिखा ? किन्तु यह सच ही था कि सवाल मैडम ने ही हल किया था। रात को कोई सपना आया होगा और सपने में ही हल मिल गया होगा। मैडम ने नींद में ही कागज पर कुछ लिखा और सो गई अर्थात् सफलता के लिए पूर्ण समर्पण अपेक्षित है।