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Agency | Jan 18, 2022 | 100 Steps of Success
सही चयन पर ही सफलता निर्भर करती है
हम यह तो जानते हैं कि हमें क्या नहीं करना चाहिए किन्तु हम यह नहीं जानते कि हमें क्या करना चाहिए? इसका निर्णय हमारी चयन क्षमता पर निर्भर करता है और हमारी चयन क्षमता हमारी त्वरित निर्णय दक्षता पर निर्भर करती है इसलिए हमें अपनी चयन क्षमता में लगातार विस्तार करते रहना चाहिए।
जन्म और मृत्यु के बीच जो भी किया जाता है, उसका चुनाव किया जा सकता है। जैसा हमारा चुनाव होगा, वैसा ही परिणाम होगा। कई बार हम ऐसी परिस्थितियों का भी चुनाव कर लेना चाहते हैं जो हमारे वश में नहीं हैं और इसीलिए हम दुःखी रहते हैं। हमारे तमाम उपद्रवों का आधार भी यही है इसलिए हमें सहज एवं संभव कार्यों का ही चयन करना चाहिए। यदि चयन सही होगा तो परिस्थितियाँ अपने आप हमारे पक्ष में होती चली जायेंगी।
आनन्द की विकल्पना हमारी चयन संकल्पना पर ही निर्भर करती है। कार्य आरम्भ करने से पूर्व यदि हम उसकी उपयोगिता और कार्यविधि पर गहराई से मनन करेंगे तो हम अपने अन्तः करण की आवाज से सफलता अथवा विफलता का पूर्वाभास प्राप्त कर लेंगे। अन्तः करण से ही सकारात्मक चुनाव के संकेत मिलते हैं और सकारात्मक चुनाव से ही सफलता के रास्ते प्रशस्त हो सकते हैं।
जीवन में शिक्षण प्रशिक्षण, काम-धन्धा, दोस्त-दुश्मन, जीवन-साथी, शान्ति-अशान्ति का सही चुनाव का हमारा आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, स्थिर मन, पूर्वानुभव एवं भविष्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण है। जब भी हम किसी वस्तु या स्थिति का चयन करते हैं, तब हम वस्तुतः अपने आपका ही चयन करते हैं।
हमारी प्राथमिकताये क्या हैं? आर्थिक स्वावलम्बन सम्बन्धी आवश्यकताएं क्या हैं? हमारी सामाजिक एवं नैतिक मान्यताएं क्या हैं? आदि सभी प्रश्नों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सही कार्य योजनाओं का चयन करते हुए यदि हम इन पर यथा समय अमल कर लेते हैं तो हमें विफलता का मुँह नहीं देखना पडे़गा अर्थात् सही समय पर सही चयन की प्रवृति ही सफलता की दिशा निर्धारित करती है।
याद रखें, हृदय तक केवल ध्यान पहुँचता है, ज्ञान नहीं। मस्तिष्क तक केवल ज्ञान पहुँचता है, ध्यान नहीं। आश्चर्य तो यही है कि व्यक्ति इनमें से किसी एक का ही चयन करता है, यही उसकी सबसे बड़ी विफलता है। ज्ञान और ध्यान के योग पर ही जीवन की सार्थकता है। इसलिए अपनी आवश्यकतानुसार दोनों का ही चयन करें, दोनों को ही जीवन में उतारें, यही सबसे बड़ी सफलता है।
जो भी चुनें, तत्काल चुनें। जो चुनें, उसी पर चलें। गलत चुनाव पर सिर न धुनें। चुनाव में ही सारा वक्त न लगाएं, क्रियान्वयन के लिए भी वक्त बचाएं। कहीं ऐसा न हो कि चुनाव भी न कर सकें।
देखा जाये तो जिन्दगी का मतलब ही चुनाव है। चुनाव तो जिन्दगी के सुहाने सफर की नाव है। बशर्ते कि आप सही नाव का चुनाव कर सकें। यदि आप किसी उत्पादन कार्य में लगें हैं तो आपको हर स्टेज पर कुछ न कुछ चयन करना ही पड़ेगा। जैसे जन, धन, जमीन आदि का चयन आप को ही करना होगा। आपकी सफलता आपके चयन क्षमता और सही निर्णय पर निर्भर करती है।
दृष्टान्त
मिस्टर दूरदर्शी को घर हेतु भूखण्ड खरीदना था। शहर की विकसित काॅलोनी में दो सौ वर्गमीटर का भूखण्ड दस लाख रुपये में मिल रहा था। नगरीय सीमा से थोडी़ दूरी पर मुख्य सड़क के किनारे दो एकड़ कृषि भूमि पाँच लाख रुपये में मिल रही थी। दूरदर्शी ने दूर की सोचते हुए दो एकड़ भूमि का चयन कर लिया। उसमें एक छोटा सा फार्म हाउस बना कर रहने लगा। फल एवं सब्जियों का उत्पादन भी करने लगा। कुछ आमदनी भी होने लगी। आरम्भ में कुछ असुविधाएं अवश्य हुईं। करीब दस साल बाद आबादी का विस्तार दूरदर्शी के फार्म तक हो गया। दूरदर्शी ने इसी दौरान कृषि भूमि का आवासीय प्रयोजनार्थ रूपान्तरण भी करवा लिया था। बीस प्रतिशत भूमि अपने पास रखते हुए शेष भूमि अस्सी लाख रुपयों में बेच दी। यही चयन और दूरदर्शिता के कारण वह बैठे-बैठे ही करोड़पति हो गया अन्यथा उसका पूरा जीवन ही मकान की किश्तें चुकाने में बीत जाता। फार्म हाउस का सपना भी कभी पूरा नहीं होता।