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Agency | Dec 31, 2021 | 100 Steps of Success
सफलता के लिए सृजनशीलता एक अनिवार्यता है
यदि आप एक-एक कदम रचनात्मक ढंग से उठाते हुए चोटी पर पहुँचते हैं तो आपको अत्यधिक आन्नद की अनुभूति होगी। यदि आप हेलीकाॅप्टर द्वारा सीधे ही चोटी पर पहुुँच जाते हैं, तब आप रचनात्मक आनन्द से वंचित रह जायेंगे। सृजनशीलता में ही असली आनन्द है और आनन्द ही सफलता है। जिस सफलता से आनन्द की अनुभूति न हो, वह कुछ भी हो सकती है परन्तु सफलता नहीं हो सकती।
आप कोई भी कार्य करें, उसमें अपनी सृजनशीलता का भरपूर उपयोग करें। किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पूर्व तत्सम्बन्धी समस्त तथ्य एकत्रित करें, तथ्यों का विश्लेषण करें। तुलनात्मक अध्ययन करें। फिर किसी सर्वसम्मत निर्णय पर पहुँचें। लक्ष्य निर्धारित करें। कार्य योजना तैयार करें। उपलब्ध संसाधनों का कलात्मक ढंग से उपयोग करते हुए अपने लक्ष्यों की ओर बढें। कार्य सम्पादन के दौरान नये-नये विचारों, नवाचारों का प्रयोग करते हुए कर्मक्षेत्र की सीढ़ियां चढ़ें। तब जो भी सफलता मिलेगी, वह कलात्मक सफलता होगी, एक विशिष्ट सफलता होगी। तब हर कदम में आपकी रचनात्मकता की झलक मिलेगी।
आपकी पहचान आपके काम से होती है। काम की पहचान कार्य प्रणाली से होती है। कार्यप्रणाली की पहचान कल्पनाशीलता से होती है और कल्पना की सृजनशीलता से होती है। आप जितने कल्पनाशील होंगे, उतने ही सृजनशील होंगे। जितने सृजनशील होंगे, उतने ही प्रगतिशील होंगे, उतने ही आप आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होंगे।
वस्तुतः आपके सभी कार्यकलापों का स्रोत आपका मस्तिष्क होता है। मस्तिष्क जितना कल्पनाशील रहेगा, उतना ही सृजनशील रहेगा। याद रखें, कल्पनाशील मस्तिष्क बिना थके अन्त तक क्रियाशील रहता है। सृजनशीलता से एकरसता, नीरसता टूटती है, चेहरे पर अनुपम आनन्द की आभा फूटती है। सृजनशीलता आपके आभामण्डल में विस्तार करती है।
सृजनशीलता के लिए सोचना जरूरी है और सोचना ही सबसे अधिक परिश्रम का काम है। परिश्रम के लिए प्रोत्साहन जरूरी है और प्रोत्साहन महज सृजनशीलता का ही परिणाम है। सृजनशीलता से प्रशंसा, प्रशंसा से प्रोत्साहन और प्रोत्साहन से सफलता आसान होती है अर्थात् सृजनशीलता के अभाव में हर सफलता अधूरी होती है। सफलता से अधिक सृजनशीलता जरूरी होती है। सृजनशीतला के बिना जिन्दगी, जिन्दगी नहीं होती।
सफलता के लिए विश्वास, विश्वास के लिए ढृढ़ संकल्प, संकल्प के लिए शान्ति और शान्ति के लिए सृजनशीलता आवश्यक है। सृजनशीलता के लिए मौन आवश्यक है मौन में उतरने पर कल्पना के पंख लगाना संभव है। जो सृजनशील होता है, वही नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
प्रेम, कोमलता और क्षमा की भावना का उदय सृजनशीलता पर ही निर्भर करता है। दया, करुणा और मित्रता की भावना का प्रादुर्भाव कलात्मकता पर निर्भर करता है। कृषि, व्यापार, उत्पादन, उद्योग और सेवाओं से सम्बन्धित आपके विभिन्न कार्य हो सकते हैं। यदि आप प्रत्येक कार्य के रचनात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान देंगे तो कार्य करने में अत्यधिक आनन्द आयेगा। आपके सम्पर्क में आने वाले सभी व्यक्ति आपकी रचनात्मकता के कायल होंगे।ं
यदि हम सृजनशील नहीं हैं तो हमें जीवन के दर्पण में दरारें ही दरारें नजर आयेंगी। यदि हम सृजनशीलता के प्रति बहरे बने रहेंगे तो चेतना की सूक्ष्म वाणियां व्यर्थ हो जायेंगी। जब हमारी सोच रचनात्मक होगी, तब हमारा हर कार्य कलात्मक होगा। हमारी कलात्मकता ही हमारे बहरेपन को तोड़ने में सहायक होगी।
कला के लिए बुद्धि और हृदय की आवश्यकता होती है, धन की नहीं। व्यक्ति और प्रकृति का समन्वय ही कला है। कला तो ईश्वरीय प्रेरणा है इसलिए किसी कलाकृति का मूल्यांकन उसके गुण-दोषों से नहीं, भावनाओं से किया जाना चाहिए। सबसे महान कलाकार वही है, जो अपने समूचे जीवन को ही कला का विषय बना लेता है। कला अति सूक्ष्म और कोमल होती है। कला व्यक्ति के मस्तिष्क को भी सूक्ष्मदर्शी और कोमल बना देती है। मस्तिष्क की कोमलता ही रचनात्मकता का सृजन करती है। रचनात्मकता ही सबसे बड़ी शक्ति है।
निष्कर्ष-
दैनिक जीवन के कार्यों में सृृजनशीलता द्वारा सौन्दर्य भरा जा सकता है। जिसके हर कार्य में सौन्दर्य हो, उसे सब पसंद करते हैं। घर, दुकान, फैक्ट्री, ऑफिस आदि को किस प्रकार आकर्षक बनाया जा सकता है? कौन सा निर्माण कहां और कैसे करवाया जा सकता हैं दिल में उतर जाने वाले विज्ञापन का आधार क्या हो सकता है? आदि प्रश्नों के उत्तर हमारी सृजनात्मक प्रवृति में ही निहित है। वैसे इस सृष्टि में सबसे बड़ा कलाकार तो परमात्मा ही है, जिसकी सृजनात्मक गतिविधियां निरन्तर चल रही हैं किंतु हम भी तो परमात्मा के ही प्रतिनिधि हैं, कुछ न कुछ सृजित करने का हमारा भी स्वभाव है। हम अपने स्वभाव को कैसे छोड़ सकते हैं।
Avnish 2 years ago
Very nice