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Agency | Oct 29, 2021 | 100 Steps of Success
सफलता के लिये निरंतरता प्रथम एवं अंतिम शर्त है
जिस प्रकार एक साइकिल सवार को संतुलन जब आप निरंतरता बनाये रखेंगे तो बाकी लोग भी ऐसा ही क्रम बनाये रखने के लिये साइकिल को लगातार चलाते रहना जरूरी है, उसी प्रकार जिंदगी के संतुलन को बनाये रखने के लिये कार्यों की गति को निरंतर बनाये रखना जरूरी है अन्यथा जिन्दगी का सफर ही व्यर्थ है। जब भी निरंतरता का क्रम टूटता है व्यक्ति औंधे मुँह गिर पड़ता है तब संभलकर दुबारा चलने में काफी वक्त लग जाता है। पर याद रखें गिरने का अर्थ लौटना नहीं होता, उठ कर पुनः चलना होता है।
जब पूरी प्रकृति और समूची सृष्टि ही निरंतरता के क्रम से आगे बढ़ती जाती है तब हम निरंतरता को तोड़ने का प्रयास कैसे कर सकते हैं। जब हर व्यवसाय और हर व्यवस्था में समाज के अमूल्य संसाधन लगे हुये हैं तब हम अपना काम रोक कर या छोड़कर समाज को क्षति पहुँचाने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं।
समाज तो स्थायी है व्यक्ति तदर्थ है इसलिये जब तक दौड़ सकते हैं दौड़ें। जब तक चल सकते हैं चलें किंतु निरंतरता बनाये रखें। निरंतर चलने वाला कभी किसी सेे पीछे नहीं रह सकता। निरंतरता के लिए तेज गति से चलन उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण है निरंतर चलना।
किसी फिल्माये गये सीन को जब निरंतरता एवं निश्चित गति के साथ चलाया जाता है तब ही अभिनय सजीव हो पाता है। इसी प्रकार निरंतर एवं निश्चित गति के साथ कार्य करते रहने पर ही व्यक्ति का सपना साकार हो सकता है। जिस प्रकार विद्युत लाइन में करंट बनाये रखने के लिये करंट की निरंतरता जरूरी है, उसी प्रकार कार्य के प्रवाह को प्रभावी बनाये रखने के लिये कार्य की निरंतरता जरूरी है।
घाणी (कोल्हू) के बैल को एक ही सर्किल में लगातार घुमाने के लिये चालाकी से उसकी आंखों पर पट्टी और गले में घण्टी बांध दी जाती है ताकि बैल को यही लगे कि वह सीधे रास्ते पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और मालिक को दूर से ही पता चलाता रहे कि बैल घूम रहा है।
जरा सोचिये अगर बैल आदमी की तरह चालाक होता तो एक ही स्थान पर खड़ा रहकर गर्दन हिलाता रहता और घंटी बजाता रहता। आदमी चालाक है इसलिये निरंतरता भंग करने के अलग अलग बहाने ढूंढ़ता रहता है।
निरंतर परिश्रम करने वाला और सदैव कार्यरत रहने वाला ही सफल हो सकता है। गिर-गिर कर संभलने वाला ही आगे बढ़ सकता है इसलिये कभी किसी एक लक्ष्य या एक पड़ाव पर कभी मत ठहरिये, विफल होने पर कभी हताश मत होइए। आशा और विश्वास के साथ लगातार प्रयास करते रहिए, क्या पता सफलता बस एक कदम ही दूर हो। प्रकृति सदैव नवीन एवं विचित्र रूपों में परिवर्तित होती रहती है। परिस्थिति सदैव बदलती रहती है इसलिये लगातार काम करने वाला ही प्रकृति और परिस्थिति को अपने अनुकूल बना सकता है।
जो भी कार्य आपके हाथ में है, उसे निरंतर नियमित एवं निर्बाध गति से करते रहें तब आपको सफलता की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मजा तो तब है जब आपको सफलता की नहीं, सफलता को आपकी फ्रिक रहे और यह संभव है अगर आप अपने कार्यों में निरंतरता बनाये रखें।
जब सूरज, चांद, सितारे और प्रकृति के सभी अनुभाग बिना रुके निरंतर कार्य कर सकते हैं जब हमारे शरीर के सभी अवयव बिना क्षणिक विराम के निरंतर सक्रिय रह सकते हैं। तब हम निरंतर कार्य क्यों नहीं कर सकते।
यह नहीं भूलना चाहिये कि हमें जीवन में जो कुछ भी मिलता है, उधार ही मिलता है तो निरंतर सजग एवं सक्रिय रह कर ही हम उधार चुका सकते हैं वस्तुतः जीवन अत्यंत ही छोटा एवं नितांत अनिश्चित होता है। यहां सब कुछ अनिश्चित ही होता है। अनिश्चितता भरे इस जगत में केवल समय का प्रवाह ही निश्चित होता है। काल की गति से कुछ तो सीखें। अपने कार्यों में निरंतरता और समन्वय बनाये रखेंगे।