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Rajeev Gupta, Agra | Nov 11, 2020 | Social Update
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस
आज हम एक ऐसे रोग के अभियान के बारे बात कर रहे हैं जो दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। और बाल्यवस्था में सभी को गुजरना पड़ा होगा| राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस । कृमि रोग अर्थात पेट में कीड़े होना एक साधारण बीमारी समझी जाती है। मगर इसका इलाज न किया जाए तो यह रोग कई जटिलताएं जैसे रक्ताल्पता, कुपोषण, आंतों में रुकावट, एलर्जी अादि जानलेवा रोगों का कारण भी बन सकता है। गोल कृमि, वीप वार्म, अंकुश कृमि वे कीड़े हैं जो कि मनुष्य को संक्रमित करते हैं।कृमि रोग से बचाव के लिए भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 2 बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस मनाया जाता है। 2015 में राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस की शुरुआत की गई थी, जिसे 11 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के ज़रिये 1 से लेकर 19 वर्ष की उम्र के बच्चों को ध्यान में रखकर किया गया।अब पूरे देश में इस कार्यक्रम को लागू किया गया है।जिन राज्यों में STH संक्रमण बीस प्रतिशत से अधिक है| वहाँ कृमि मुक्ति के द्विवार्षिक चरण की सिफ़ारिश की जाती है तथा अन्य राज्यों में वार्षिक चरण आयोजित किया जाता है।
कृमि मुक्ति एक दिन का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता तक पहुँच , पोषण संबंधी स्थिति एवं बच्चों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिये बच्चों को परजीवी आंत्र कृमि संक्रमण से मुक्त करने के लिये दवा उपलब्ध कराना है।
इस कार्यक्रम में स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से सभी बच्चों को शामिल किया जाता है।बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिये एलबेंडाजोल नामक टैबलेट दी जाती है।
अगर कोई भी बच्चा किसी वजह से, खासतौर से गैरहाजिर होने या बीमार होने से राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस में नहीं शामिल हो पाया तो उसे 15 फरवरी को दवा दी जाती है।वर्ष फरवरी 2017 के चक्र में 25.6 करोड़ बच्चों और अगस्त 2017 वाले चक्र में 22.8 करोड़ बच्चों तक पहुँचने का सफल प्रयास किया गया और उन्हें राष्ट्रीय कृमि निवारक दिवस पर कृमि निवारक उपचार मुहैया कराया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जून 2018 में जारी आकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में 1.3 अरब लोग कृमिरोग से पीड़ित हैं। जिसमें केवल भारत में 1 से 14 वर्ष के 241 मिलियन बच्चों में इसका संक्रमण है।यह कार्यक्रम मानव संसाधन और विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।पंचायती राज मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) भी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस में सहायता प्रदान करते हैं।
कृमि निवारण के लिये एल्बेंडजोल की स्वीकार्यता पूरे विश्व में है और इस टैबलेट का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।कृमि निवारण के साथ-साथ बच्चों में साफ-सफाई के अभ्यास पर विशेष जोर दिया गया है ताकि उन्हें कृमि समस्या का सामना न करना पड़े। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस दिशा में खुले में शौच से मुक्ति के लिये विशेष उपायों पर जोर दे रहा है ताकि इस तरह के वातावरण का निर्माण हो सके जिससे किसी भी समुदाय को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
स्वच्छ भारत के निर्माण में स्वच्छ भारत अभियान के ज़रिये जो कदम उठाए गए हैं उनसे राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के उद्देश्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
आयुर्वेद में कृमि रोग का वर्णन लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व से ही चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथों में मिलता है।आयुर्वेद में कृमि के 20 भेद बताये गए है जिसमे से रक्तज, पुरीषज, कफज कृमि के अलग अलग प्रकार बताये गए है।
राजीव गुप्ता जनस्नेही की कलम से
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