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Agency | Feb 20, 2023 | Social Update
होम लोन का प्री-पेमेंट तभी करें, जब आपकी बचत कुल देनदारी से ज्यादा हो
इमरजेंसी फंड, इंश्योरेंस, लंबी अवधि के निवेश जैसी जरूरतें पहले पूरी करें
होम लोन को लेकर बैंकरों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत से पता चला कि आम तौर पर ये लोन तय अवधि के आधे समय में ही चुका दिया जाता है। दरअसल अतिरिक्त बचत का निवेश करना है या लोन का प्री-पेमेंट करना है, होम लोन लेने वाले ज्यादातर लोग इस बारे में सोचते ही नहीं है। वो बस जल्द से जल्द कर्ज से मुक्ति चाहते हैं। लेकिन जरा सोचें, आपने 7% ब्याज दर पर 20 साल का होम लोन लिया और शुरुआत में ही 38,765 रुपए का प्री-पेमेंट कर दिया। ऐसे में लोन की अवधि तीन महीने और ब्याज 1.15 लाख रुपए कम हो जाएगा। लेकिन यदि आपने यही पैसा किसी इंडेक्स फंड में लगाया, जिससे सालाना 12% रिटर्न मिल रहा है तो 20 साल बाद 3.73 रुपए मिलेंगे। इस हिसाब से लोन का प्री-पेमेंट फायदे का सौदा नहीं है।
यदि आपके पास कैश है तो ये फैसला मुश्किल होगा कि लोन का प्री-पेमेंट करें या ऊँचे रिटर्न के लिए निवेश करें? इसके कई जबाव हो सकते हैं। लेकिन मूल मसला ये है कि अतिरिक्त पैसे का सबसे अच्छा इस्तेमाल कैसे करे, इसका आधर क्या होना चाहिए? आइए जानते हैं....
दो परिस्थितियां हो सकती हैं
1. लोन के मुकाबले ज्यादा बचत
मान लीजिए कि आपने 30 लाख का होम लोन लिया है पर 50, लाख रुपए की बचत भी है। मतलब ये कि नौकरी छूटने जैसी परिस्थिति में आप एक ही बार में लोन चुका सकते हैं। माली हालत इतनी अच्छी हो तो आप लोन के प्री-पेमेंट की जगह निवेश कर सकते हैं।
2. लोन के मुकाबले कम बचत
हो सकता है कि आपने जितना लोन ले रखा है, बचत उससे कम हो। फिर भी यदि भी यदि हर माह लोन की किस्ते समय पर चुका रहे हैं तो आप अच्छी स्थिति में हैं। ऐसे में यदि कहीं से कैश आ जाए तो आप निवेश की जगह लोन चुकाने को प्राथमिकता दे सकते हैं।
बेहतर क्या है, ये टारगेट पर निर्भर...
लोन चुकाना, निवेश से कमाई या इनके बीच संतुलन बिठाना, इनमें से क्या सही है, ये आपके टारगेट पर निर्भर करता है। यदि आपके पास पर्याप्त इमरजेंसी पफंड, हेल्थ व लाइपफ इंश्योरेंस और लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए निवेश है तो बेशक लोन का प्री-पेमेंट कर सकते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो पहले आपको इन बेहद जरूरी वित्तीय सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
टैक्स कटौती के मोह में न पड़ें
शुरुआती ईएमआई का बड़ा हिस्सा ब्याज में जाता है। यदि आपने ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपयए खर्च किए हैं और 30% टैक्स स्लैब में हैं, तो आप टैक्स कटौती के तौर पर 2 लाख का 30% नहीं बचा पाएंगे। टैक्स कटौती इसका एक छोटा सा हिस्सा होगा।
यदि प्री-पेमेंट करना ही है.....
यदि आपके पास कुछ कैश है और प्री-पेमेंट करना चाहते हैं तो ईएमआई में कुछ बढ़ोतरी कर लें। इससे निवेश के लिए थोड़ा पैसा बचा रहेगा और भविष्य के लिए फंड जमा करने की प्रक्रिया जारी रहेगी। ऐसा करके आप प्री-पेमेंट और निवेश के बीच संतुलन बना पाएंगे।