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Agency | Oct 27, 2021 | Travelling Destinations
फाॅरेन ट्रेवल
के दौरान ध्यान रखें इन बातों का....
कोविड का दौर गुजर जाने के बाद यदि आप छुट्टी मनाने के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि जगह-जगह कोविड प्रोटोकाॅल लागू हो गए हैं। इसके अलावा अपने फाइनेंस को लेकर पहले से प्लान बना लेना चाहिए। आम तौर पर लोग विदेश यात्रा के दौरान खर्च के तौर-तरीकों को लेकर लापरवाह रहते हैं। इस संबंध् में पहले से जानकारी होनी चाहिए। यहां कुछ तरीके दिए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर फाइनेंस में बेहतर संतुलन बनाया जा सकता है।
एयरटाइट ट्रैवल बजट
ट्रैवल फंड क्रिएट करने पर फोकस करना चाहिए। जहां आप जाना चाहते हैं वहां आप कब तक रहेंगे, क्या करेंगे, इसका मोटा आइडिया पहले होना चाहिए और यह महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए जब आप एक शहर में जाते हैं तो निवास और भोजन के लिए खर्च करते हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा खर्च घूमने-फिरने और मनपसंद जगह देखनें पर करते है।। ऐसे में हर महीने थोड़ी-थोड़ी राशि ट्रैवल फंड के लिए जमा कर लेनी चाहिए। इसके लिए आप एप या अपने फोन पर फाइनेंशियल मैनेजमेंट टूल का उपयोग करते हुए खर्च की निगरानी कर सकते हैं और बजट को संतुलित कर सकते हैं ।
ग्लोबल टेक्नोलाॅजी कम्पनी वाइज की कंट्री मैनेजर इंडिया रश्मि सातपुते कहती है कि आम तौर पर एयरपोर्ट पर फारेन एक्सचेंज ब्यूरो होते है, जो ट्रैवलर्स की मनोदशा को जानते हैं और उन्हें लुभावने ऑफर देते है। यह इसलिए होता है कि विदेश में एयरपोर्ट पर मुद्रा बदलनी पड़ती है और इससे ट्रैवल बजट डगमगा जाता है। सबसे ज्यादा फेवरेबल एक्सचेंज रेट के लिए मिड-मार्केट रेट देखना चाहिए, जो कि गूगल/राइटर्स पर उपलब्ध् रहती है। पैसा बचाने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचने से पहले ही अपने होलीडे मनी को ऑर्गनाइज कर लेना चाहिए।
डीसीसी के खतरे
बैंक और पेमेंट प्रोवाइडर एक सर्विस देते हैं डायनामिक करेंसी कनवर्जन (डीसीसी), जिसमें इंटरनेशनल कार्ड होल्डर को अपने देश की करेंसी में भुगतान करने की सुविध मिलती है। इसका ट्रैवलर्स के लिए सेफ, कन्वीनियंट ऑप्शन के रूप में प्रचार किया जाता है। इसमें होम करेंसी में परचेज करने की सुविधा देने का दावा किया जाता है। सातपुते कहती हैं कि यह गलतफहमी क्रेडिट कार्ड पर फाॅरेन ट्रांजेक्शन फीस बचाने के लिए पैदा होती है। लेकिन दरअसल ऐसा होता नहीं है। अगर आप डीसीसी लेने के लिए राजी हो जाते हैं तो परचेज के समय आपके क्रेडिट/डेबिट कार्ड या एटीएम नेटवर्क के जरिए आम तौर पर फाॅरेन ट्रांजेक्शन फीस वसूल कर ली जाती है, जो बहुत भारी पड़ती है। इससे खर्च 1.5 फीसदी से 3 फीसदी तक या इससे ज्यादा बढ़ जाता है और अंदाज लगाना मुश्किल होता है वास्तविक रेट क्या है। इसलिए सिर्फ लोकल करेंसी का उपयोग करने में फायदा है। जो मर्जेंट परचेज के लिए मल्टी-करेंसी ट्रैवलिंग कार्ड जारी करते हैं, उनके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
ट्रैवल इंश्योरेंस
अगर यात्रा के दौरान सामान या दस्तावेज खो जाए, यात्रा में किसी कारण से रुकावट आ जाए, डेंटल या और किसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी पैदा हो जाए या सीनियर सिटीजंस की हैल्थ प्राॅब्लम हो तो इसके लिए इंश्योरेंस होना चाहिए। सही इंश्योरेंस प्लान का चुनाव करना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
सातपुते कहती हैं कि अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग कवरेज एमाउंट बताती हैं। लेकिन 50 हजार डाॅलर से 5 लाख डाॅलर की रेंज तक का कवरेज ठीक रहता है। यहां कोई वन-साइज-पिफट-आल एप्रोच लागू नहीं होती है। इसलिए ट्रैवलर्स को प्लान समझ लेना चाहिए। बैंक और अन्य सर्विस प्रोवाइडर्स भी प्लान ऑफर करते हैं।
ट्रैवल कार्ड
विदेश यात्रा के दौरान आम तौर पर क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह कनवीनियंट और सेफ ऑप्शन है। लेकिन इससे बेहतर तरीका है मल्टी-करेंसी ट्रैवल कार्ड। विदेश जाते समय आप इसमें करेंसी चुन सकते हैं और बैलेंस चेक कर सकते हैं, जिससे आपको सही अनुमान हो जाता है कि विदेश में आपके पास वहां की कितनी करेंसी है। इसमें एक्सचेंज रेट में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण लगने वाली सरप्राइज फीस या काॅस्ट नहीं लगती। आपका प्रीपेड ट्रेवल कार्ड किसी अन्य एकाउंट से जुड़ा हुआ नहीं होता है, इसलिए कार्ड गुम हो जाने पर धेखाधड़ी की संभावना भी नहीं रहती।
एटीएम विड्राॅल फीस
जब आप यात्रा करते हैं तो आपके बार-बार पैसे निकालने की जरूरत पड़ती हैै। हालांकि यात्रा के दौरान आप जितनी ज्यादा बार राशि निकालते हैं, उसी हिसाब से एटीएम विड्रोल फीस भी लगती है। सातपुते कहती हैं कि इस झंझट से बचने के लिये आपको ग्लोबल एटीएम अलायंस के तहत कार्ड लेना चाहिए, जिसमें यदि आप दुनिया में किसी भी पार्टनर एटीएम से राशि निकालते हैं तो फीस माफ रहेगी। इसके अलावा अपने बैंक या सर्विस प्रोवाइडर से भी तफ्रतीश कर लेनी चाहिए, जिससे कम फीस वाला कार्ड मिल सकें।
मनी ट्रांसफर
दुनिया भर में बैंक ट्रांसपफर के जरिए एक्सचेंज रेट के हिसाब से ट्रांजेक्शन काॅस्ट के रूप में हिडन फीस लगती है और कोस्पोंडेंट बैंक फीस भी इसके दायरे में आ जाती है। सातपुते के मुताबिक अगर किसी को सुरक्षित तरीके से और जल्दी राशि पहुंचाना चाहते हैं तो यह उलझन भरी प्रक्रिया हो सकती है। इसे आसान बनाने के लिए रिलायबल मोबाइल एप या टेक प्लेटफार्म का इस्तेमाल करना चाहिए, जो मिड-मार्केट रेट के हिसाब से पारदर्शी तरीके से राशि ट्रांसफर कर देते हैं और ट्रांजेक्शन के सिलसिले में आपको अपडेट रखते हैं