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Agency | Jan 16, 2023 | Automobile News
सीट बेल्ट जरूर पहनें
तभी खुलेंगे एयर बैग्स
सड़क सुरक्षा का मामला केवल स्वयं की सुरक्षा भर तक सीमित नहीं है। अगर आप कार चला रहें हैं तो न केवल खुद की, बल्कि दूसरों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना होगा, इसलिए जब आप स्टीयरिंग व्हील के पीछे बैठे हों तो यह सुनिश्चित करें कि आप एक पल के लिए भी लापरवाही नहीं बरतेंगे। यह भी ध्यान रखें कि अध्किांश हादसे हमारी नहीं, बल्कि दूसरों की गलती से होते हैं। फिलहाल हम अपनी सुरक्षा के लिए इन बिंदुओं का पालन कर सकते हैं‘-
सीट बेल्ट
कारों में यह बहुत ही सरल-सी लेकिन सुरक्षा की सर्वाधिक प्रभावी व्यवस्था है। हर साल हजारों की जान बचाती है और हजारों की जानें केवल इसलिए चली जाती हैं, क्योंकि उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी होती है। इसलिए आदत ही बना लेनी चाहिए कि जब भी कार में बैठेंगे, सीट बेल्ट जरूर लगाएंगे और सीट बेल्ट केवल फ्रंट सीट्स पर बैठने वालों के लिए ही नहीं है। कार की दूसरी और तीसरी पंक्ति में बैठने पर भी लगानी है (अगर आपके वाहन में इसका प्रावधान हो) अगर आपकी कार में एयर बैग्स हैं, तब तो सीट बेल्ट पहनना और भी अनिवार्य हो जाता है, क्योंकि किसी हादसे के वक्त ये एयर बैग्स तभी खुलेंगे, जब आपने सीट बेल्ट पहन रखी होगी। एयर बैक्स वाली कारों में इसकी फंक्शनिंग का सर्किट तभी पूरा होता है, जब आप सीट बेल्ट लगाते हैं। हाल ही में एक सड़क हादसे में देश के जाने-माने उद्योगपति साइरस मिस्त्री की मृत्यु की एक वजह उनके द्वारा सीट बेल्ट नहीं पहनना भी सामने आया था।
बेबी सीट
अगर आप किसी शिशु या बहुत ही छोटे बच्चे के साथ यात्रा कर रहे हैं तो बेबी सीट का इस्तेमाल जरूर करें और उसे बेल्ट से बांधकर ही रखें। छोटे बच्चों के लिए पीछे वाली सीट सबसे सुरक्षित मानी जाती है। बच्चे को कभी भी आगे की सीट पर नहीं बैठाएं। चाहे कार की गति कितनी भी हो, क्योंकि छोटा -सा हादसा भी घातक हो सकता है।
फोन पर बातचीत
हमेशा आदत बना लीजिए कि कार चलाते समय पर फोन पर मैसेज भेजना तो दूर, बात भी नहीं करेंगे। कुछ कारों में इनबिल्ड मोबाइली स्पीकर होते हैं और कई लोगों को लगता है कि उस पर बात करते हुए कार चलाने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन तथ्य तो यह है कि जब हम मोबाइल पर बात करते हैं तो मस्तिष्क का एक हिस्सा उसमें व्यस्त हो जाता है, जिसका असर हमारी ड्राइविंग क्षमता पर पड़ता है। और फिर हादसा तो पल-दो पल का मामला होता है।
यलो लाइट
ट्रैफिक सिग्नल्स पर यलो लाइट का मतलब होता है रेड लाइट बस होने ही वाली है और कार की गति कम कर लीजिए। लेकिन हमारे यहां अक्सर उलटा होता है। लोग यलो लाइट दिखते ही कार की गति को और तेज कर देते है, इस पफेर में कि रेड लाइट आने से पहले ही हम चैराहा पर कर जाएं। पैदल सड़क पार करने वाले कई लोग इसी वजह से हादसे का शिकार हो जाते हैं।
थकान
सड़क सुरक्षा में थकान भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। कई चालकों को इसका एहसास तब होता है, जब कोई हादसा हो चुका होता है। इसलिए थकान का पहला संकेत दिखते ही हमें कार चलाने से बचना चाहिए और इस नियम का पालन केवल हाई-वे पर ही नहीं बल्कि शहर में कार चलाने के दौरान भी करें।
कार में रखें ये सामान
अपनी कार में अपनी सुरक्षा के लिए कुछ बुनियादी इमरजेंसी सामान अवश्य रखें, जैसे एक टाॅर्च, टोविंग रोप, बैटरी जंपर केबल, बल्ब का अतिरिक्त सेट, टायर इन्फ्रलैटर और बैडेज के साथ छोटा-सा मेडिकल किट।