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Agency | Jul 28, 2021 | Health and Fitness
मानसून के तनाव को ऐसे करें छूमंतर
मानसून में रिमझिम बरसता पानी वातावरण को सुंदर बना देता है। ऐसे में बारिश में भीगना और गरमा-गरम चाय की चुस्कियां लेने का एक अलग ही आनंद है। तपती गर्मी के बाद बारिश की फुहार तन-मन को शीतल कर देती हैं। लेकिन यह भी है कि बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लेकर भी आता है। बारिश के कारण उमस बढ़ जाती है, तेज बारिश के कारण लोग घरों से नहीं निकल पाते, हर जगह कीचड़ और पानी नजर आता है। धूप की कमी और सूरज न निकलने से वातावरण में एक उदासी सी छा जाती है। यही कारण है कि मानसून में मानसिक तनाव बढ़ जाता है।
क्या आप इन दिनों उदास हैं? क्या बदलते मौसम के शुरू होते ही आपके व्यवहार में अचानक परिवर्तन आ गया है? आप खुद को अन्य दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक सुस्त व उदास महसूस कर रहे हैं। आप का मन किसी चीज में नहीं लग रहा और आप को इन दिनों एकांत में रहना ज्यादा अच्छा लग रहा है। सैड वास्तव में एक प्रकार का डिप्रेशन या अवसाद है जिसमें व्यक्ति हर साल एक ही समय विशेष पर ग्रसित होता है। ऐसे में बेचैनी, अवसाद और थकान के लक्षण दिखाई देते हैं। काम में मन न लगना और निराश के भाव इस दौरान व्यक्ति के दिमाग में आते हैं। सैड में सूर्य की रोशनी में कमी आने को लेकर दिमाग में एक अलग तरह की प्रतिक्रिया होती है। मानसून के दौरान अकसर इसी प्रकार का मौसम हो जाता है। वातावरण में आर्द्रता, उमस की अधिकता होती है जो आदमी को बेचैन कर देती है। मानूसन के दौरान जब दिन में कई बार सूर्य की रोशनी बहुत कम देखने को मिलती है तो दिक्कत और अधिक बढ़ जाती है।
सैड का कारण सूर्य की रोशनी के व्यक्ति के दिमाग द्वारा द्रवित होने वाले हार्मोन के सतर को प्रभावित कना माना जाता हैं। सैड से ग्रसित व्यक्ति अवसाद में रहता है। इसमें मूड में बदलाव, उफर्जा की कमी, नींद में बदलाव, ध्यान लगाने में तकलीपफ और दोस्तों तथा परिचितों के साथ कम समय बिताने की इच्छा शामिल है। ऐसे में अपने भोजन में मैग्रीशियम की मात्रा बढ़ाएं। इस मौसम में संतुलित आहार का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यदि इसके बावजूद आप खुद को थका-थका महसूस करते हैं तो इसका कारण आपके शरीर में मैग्रीशिमय की कमी भी हो सकती है।हमारे शरीर को करीब 300 बायोकैमिकल रिएक्शंस के लिए मैग्रशियम की जरूरत होती है। इसके लिए आप अपने भोजन में बादाम और काजू जैसे ड्राई फ्रूट्स को सम्मिलित कर सकते हैं।
क्यो होता है मानसून में तनाव
मौसम में बदलाव का प्रभाव सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। बारिश में अधिकतर लोग खिड़की दरवाजे बंद करके घरों और ऑफिसों में दुबके रहते हैं। सूरज भी नहीं निकलता है और अगर निकलता भी है तो उसमें उतनी तेजी नहीं होती है। इससे प्राकृतिक रूप से मिलने वाले प्रकाश की मात्रा में अत्यधिक कमी आ जाती है जिससे शरीर की इंटरनल क्लाॅक गड़बड़ा जाती है जिससे तनाव बढ़ता है।
सूर्य की रोशनी की कमी से सेरेटोनिन के स्तर में भी गिरावट आ जाती है यह मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक रसायन (न्यूरोट्रांसमीटर) है जो मूड को प्रभावित करता है और तनाव को ट्रिगर करता है।
बेहद नुकसानदेह है यह तनाव
तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोनों का स्तर बढ़ जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसाल प्रमुख है। इनकी वजह से दिल का तेजी से धड़कना, पाचन क्रिया का मंद पड़ जाना, रक्त का प्रवाह प्रभावित होना, न र्व सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना और इम्यूंन सिस्टम का कमजोर होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
अगर तनाव की स्थिति लगातार बनी रहती है तो इसका असर धीरे-धीरे बाहरी रूप से भी दिखाई देने लगता है। इस कारण डिप्रेशन, डायबिटीज, बालों का झड़ना, हृदय रोग, मोटापा, अल्सर, सेक्ज्यूअल डिसफंक्शन की समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए तनाव से बचना बहुत जरूरी है।
तनाव को कैसे भगाएं
बारिश में कई लोग इतने तनावग्रस्त हो जाते हैं कि उनके लिए रोज के काम करने के लिए खुद को तैयार करना भी कठिन होता है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो आप अन्य उपायों को अपना सकते हैं।
मौसम का आनंद लें
बारिश में हर जगह कीचड़ और पानी देख तनाव न लें, हर मौसम की अपनी अच्छाईया और बुराइयां होती है। ऐसा ही बारिश के मौसम के साथ भी है। अगर आप कहीं जा रहे हैं तो बारिश में होने वाले ट्रैफिक जाम को ध्यान में रखते हुए घर से थोड़ा जल्दी निकलें। कार या बस के शीशे खोलकर रिमझिम फुहारों का आनंद लें। इस दौरान आप ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। यह आपको मानसिक शांति देगी।
पोषक भोजन का सेवन करें
मानसून में जेठराग्नि मंद पड़ जाती है, इसलिए हल्के, संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। इस मौसम में संक्रमण तेजी से फैलता है इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
एक्सरसाइज करें
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क में रक्त का संचरण बढ़ता है जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और तनाव भी कम होता है। जब हम शरीरिक रूप से स्वस्थ अनुभव नहीं करते हैं तब हमारा मस्तिष्क भी अशांत हो जाता है, जिससे तनाव ट्रिगग होता है।
पूरी नींद लें
मौसम में बदलाव शरीर में मेलैटोनिन के स्तर में परिवर्तन कर देता है, जो हमारे स्लीप पैटर्न और मूड को निर्धरित करने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर और मस्तिष्क को रि-इनर्जाइज करने के लिए 6-8 घंटे की नींद लें।
ग्रीन टी का सेवन करें
एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लोग एक दिन में कम से कम दो से तीन कप ग्रीन टी पीते हैं उनका मूड और स्वास्थ्य उन लोगों से बेहतर रहता है जो इसका सेवन नहीं करते हैं। अगर आप तनाव में हैं तो एक प्याला ग्रीन टी पिएं है। वैसे भी बारिश में चाय की चुस्कियां लेने का अपना ही आनंद है।
संगीत सुनें
संगीत तनाव को कम करता है और आपके मूड को ठीक रखता है। अनुसंधनों में यह बात सामने आई है कि संगीत से हृदय की धड़कनो, रक्तदाब और रक्त में तनाव पैदा करने वाले हार्मोनों का स्तर कम होता है। ब्रेक लें और अपना मनपसंद संगीत सुनें।
आउटिंग पर जाएं
मानसून का अर्थ यह कतई नहीं है कि आप दरवाते, खिड़कियां बंद करके बैठ जाएं। बाहर निकले। वीकएंड पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने जाएं। लांग ड्राइव पर निकल जाएं या किसी शांत प्राकृतिक स्थान पर घूम आएं।