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Agency | Oct 30, 2021 | Automobile News
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की दो-टूक
केवल शब्दों से काम नहीं चलेगा ठोस कदम उठाने की जरूरत
वाहन कम्पनी मारुति सुजुकी के आर सी भार्गव और टीवीएस मोटर के वेणु श्रीनिवासन ने सरकारी अधिकारियों को बयानवीर बताते हुए उनकी आलोचना की । दोनों दिग्गजों ने कहा कि सरकारी अधिकारी केवल बयान देने में आगे रहते हैं पिछले कुछ सालों से वाहन क्षेत्र की वृद्धि में गिरावट को पलटने के लिये उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
वाहन उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युपफैक्चरर्स (सियाम) के 61वें सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्र के दिग्गजों ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि क्या देश के विकास में वाहन उद्योग के योगदान को मान्यता दी जा रही है। उन्होंने अफसोस जताया कि क्या कार को अभी भी शान-शौकत की चीज माना जा रहा है जिसका उपयोग केवल अमीर ही कर सकते हैं।
वाहन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कम्पनी मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन भार्गव ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां उद्योग में लंबे समय से गिरावट जारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वाहन उद्योग के महत्व के बारे में कई सारे बयान दिये जाते हैं। लेकिन उद्योग में गिरावट की स्थिति पलटने के लिये ठोस कदम की बात की जाए, तो जमीन पर कुछ नहीं दिखता।’’
इससे पहले, दिन में वाहन उद्योग की उपलब्ध्यिों का जिक्र करते हुए नीति आयोग के सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘भारत के लिये वाहन क्षेत्र के बिना लंबी अवधि तक उच्च वृद्धि हासिल करना असंभव है। भारत की वृद्धि में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है।’’
उन्होंने कहा कि वाहन क्षेत्र में बदलाव अपरिहार्य है और अब हम इलेक्ट्रिक परिवहन व्यवस्था की ओर अग्रसर हैैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में भारत को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अगुवा बनाने के लिए बदलाव लाने का काम वाहन उद्योग को करना है।
भार्गव ने कहा, ‘‘अतिरिक्त बिक्री के संदर्भ में बातों से कुछ नहीं होता। आपको इसे हकीकत रूप देने के लिये ठोस कदम उठाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि उच्च कर ढांचा, नये उत्सर्जन मानकों तथा सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिये अतिरिक्त लागत आयेगी। इससे वाहनों की कीमतें बढ़ेंगी और फलतः यह ग्राहकों की जेब से बाहर होगा।’’
टीवीएस मोटर के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने भी कहा कि देश में दो पहिया वाहन परिवहन का एक बुनियादी साध्न है। इस पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी (माल एवं सेवा कर) लिया जा रहा है। कर की यह दर सबसे ऊँची और विलासिता की वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी के बराबर है।
उन्होंने कहा कि भारतीय वाहन उद्योग प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से तीन करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है। उद्योग अब आयात और निर्यात एसेंबल की जगह देश में ही डिजाइन और विनिर्माण कर रहा है। डिजाइन संबंधित ढांचागत सुविधओं में घरेलू और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने काफी निवेश किया हैं।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘लेकिन क्या हमें मान्यता मिल रही है? क्या वाहन उद्योग रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा के क्षेत्र में जो योगदान दे रहा है, उसके लिये उसे पहचान मिल रही है?’’
उद्योग जगत के विचारों का जवाब देते हुए राजस्व सचिव तरूण बजाज ने कहा कि वाहन कम्पनियों को इस बात का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए कि कारों की बिक्री क्यों नहीं बढ़ रही। जबकि लोगों की आय बढ़ रही है। उन्होंने उद्योग से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ चलने को कहा। भार्गव ने कहा कि वाहन उद्योग के विकास का कारण इस देश के लोग हैं, जिनकी अपनी कार लेने की आकांक्षा है। क्षेत्र के विकास का कारण कोई नीतिगत कदम नहीं है।
उन्होंने कहा कि वह बिजली से चलने वाले वाहनों को लेकर कांत की बातों का पूरा समर्थन करते हैं। ‘‘मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि हमें ईवी की ओर बढ़ना है। लेकिन इसके पीछे सवाल ईवी के सस्ता होने का है...।’’
भार्गव ने कहा कि अगर वाहन उद्योग को अर्थव्यवस्था तथा विनिर्माण क्षेत्र को गति देना है, देश में कारों की संख्या प्रति 1,000 व्यक्ति पर 200 होनी चाहिए जो अभी 25 या 30 है। इसके लिये हर साल लाखों कार के विनिर्माण की जरूरत होगी।
भार्गव ने कहा, ‘‘हमने केंद्रीकृत योजना प्रणाली में ग्राहकों का ध्यान कभी नहीं रखा क्योंकि वे मायने नहीं रखते... हम अभी भी योजना बनाते समय यह नहीं सोचते कि ग्राहक उत्पाद खरीदने की स्थिति में होगा या नहीं।’’