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Agency | Jun 11, 2021 | Automobile News
फिर लड़खड़ाने लगा, ऑटो कंपोनेंट कंपनियों का बिजनेस
ऑटो कंपोनेंट कंपनियों के लिए यह समय बेहद कठिन है। कोविड-19 के कारण वर्कर्स की कमी है और पाबंदियों के कारण ऑटोमोबाइल कंपनियों को कारखाना प्लांट्स को बंद करना पड़ा है। यह सेक्टर 3.2 लाख करोड़ रुपये का है, जिसका 60 फीसदी रेवेन्यू ऑटोमोबाइल ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) से मिलता है, शेष 40% रिप्लेसमेंट डिमांड के साथ ही एक्सपोर्ट से प्राप्त होती है। देश की सबसे बड़ी कार कम्पनी मारुति सुजुकी इंडिया ने महामारी के कारण पिछले दिनों अपना प्लांट मेंटिनेंस के लिए शटडाउन कर दिया है। हालांकि कारखानों में कुछ गतिविधियाँ जारी हैं। सुजुकी मोटर गुजरात ने भी इसी तरह का फैसला किया है।
मारुति सुजुकी के साथ ही अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी प्लांट शटडाउन करने या उसे आगे बढ़ाने का फैसला किया है, जिनमें महिंद्रा एंड महिन्द्रा, टोयोटा किर्लोस्कर, होंडा मोटरसाइकिल व स्कूटर इंडिया, फोर्ड इंडिया और बीएमडब्ल्यू इंडिया शामिल है। गौरतलब है कि ऑटो कंपोनेंट कंपनियों का प्रोडक्शन प्लान ऑटो कंपनियों के साथ जुड़ा होता है। ऑटो कंपोनेंट मैन्युफक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दीपक जैन ने कहा कि इन आंशिक पाबंदियों के कारण कारोबार पर विपरीत असर पड़ रहा है। यह इंडस्ट्री ऐसी है, जिसमें कारखाने बंद नहीं होते हैं। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में प्रोडक्शन जारी रखना कठिन है। ऑटोमोबाइल कंपनियों के सामने प्लांट्स बंद करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं है। कोई नहीं जानता कि आगे क्या होने वाला है। इस समय लोगों का जीवन बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। बेंगलुरु-बेस्ड सनसेरा इंजीनियरिंग के जाॅइंट मैनेजर एफआर सिंघवी कहते हैं कि सप्लाई और वर्कर, हर तरह से स्थिति विपरित है। यह कम्पनी इंटीग्रेटेड, काॅप्लेक्स व क्वालिटी प्रिसीजन कंपोनेंट बनाती है। इस परिस्थिति में सनसेरा का फोकस एक्सपोर्ट्स पर है, जिससे कम्पनी को 33 फीसदी रेवन्यू मिलता है। क्रिसिल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ऑटोमोबाइल डिमांड बढ़ने से ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा और फाइनेंशियल इयर 2022 में इस सेंगमेंट का रेवेन्यू 21 से 23 फीसदी तक बढ़ सकता है, जो फाइनेंशियल इयर 2020 और 2021 में क्रमशः 13 फीसदी और 8 फीसदी कम हो गया था
लाॅकडाउन और पाबंदियों के साथ ही लोगों और फ्रेट मूवमेंट कम होने से जो रिप्लेसमेंट डिमांड कम हो गई थी, उसके धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है। भारत का 55 फीसदी ऑटोमोटिव कंपोनेंट एक्सपोर्ट अमेरिका और यूरोप को होता है। फाइनेंशियल इयर 2020-2021 में इन क्षेत्रों में रिकवरी दिखने लगी थी। हालांकि दूसरी लहर के कारण, जिसमें ज्यादा लोगों की मौत हो रही है, संक्रमण भी तेजी से बढ़ रहा है, परिस्थितियां विपरीत हो रही है। विश्व की सबसे बड़ी कैमशेफ्रट मैन्युफैक्चरर कंपनी प्रिसीजन कैमशैफ्रट लि. (पीसीएल) के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कारण शाह निराश नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि आगे चलकर परिस्थितियां सुधरेगी । अभी बिजनेस में अस्थायी तौर पर रुकावट है। किसी भी ऑटोमोबाइल कम्पनी ने 2 हफ्ते से ज्यादा के प्लांट शटडाउन की घोषणा नहीं की है और उम्मीद है कि प्रोडक्शन नहीं होने से जो घाटा हुआ है, वह आने वाले महीनों में पूरा हो जाएगा। कोविड के कारण लगी पाबंदियों के बावजूद पीसीएल 80-90 फीसदी कैपेसिटी के साथ आपरेट कर रही है क्योंकि उसके पास एक्सपोर्ट ऑडर्स हैं।