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Agency | Jul 28, 2021 | 100 Steps of Success
सफलता के लिए विचार, विकल्प और चिन्तन की एकाग्रता आवश्यक है
यदि आप वही करते रहेंगे जो अब तक करते रहे हैं तो आपको वही मिलेगा, जो अब तक मिलता रहा है। याद रखें, दिनों-दिन आपकी आवश्यकतायें बढ़ती जा रही हैं, महंगाई भी निरन्तर बढ़ती जा रही है इसलिए यदि आप अपने आर्थिक संसाधनों में तद्नुसार बढ़ोतरी नहीं करेंगे तो आप समय की मांग के अनुरूप नहीं चल पायेंगे। इस यथास्थिति को तोड़ने के लिए विचार विकल्प और चिन्तन को अपनी जीवनशैली का अंग बनाना होगा।
व्यक्ति वही कार्य करना चाहता है जो उसे पसंद है। जो उसे करना चाहिए, वह नहीं करता। जो वह आसानी से कर सकता है, अरुचि के कारण वह भी नहीं कर पाता है। व्यक्ति अपनी सुविधाजनक स्थिति को ही अपनी पसंद बना लेता है। उसकी प्रगति में यह पसंद ही सबसे बड़ी बाधक है इसलिए उसे अपनी पसंद में विस्तार करना होगा और इसके लिए महज विचार करने की आवश्यकता है। यथास्थिति बाद में बदलाव सकारात्मक चिन्तन से ही संभव है।
विज्ञान के पास आंखें तो होती हैं, पर पैर नहीं होते। धर्म के पास पैर तो होते हैं, पर आंखें नहीं होती। विज्ञान और धर्म के मिलने पर कर्म का आविर्भाव होता है और कर्म के पास आंखें भी होती हैं, पैर भी होते हैं किन्तु निहित स्वार्थ वाले तथाकथित धार्मिक योद्धा आरम्भ से ही इसमें सबसे बड़े बाधक बने हुए हैं। जरा सोचिए, वह धर्म ही क्या जिसमें विचार, विकल्प और चिन्तन का स्थान न हो। वस्तुतः कर्म से अलग किसी धर्म का कोई अर्थ भी नहीं है।
इस सार-युक्त संसार में जो भी उत्पन्न होता है, उसका एक निश्चित प्रयोजन होता है। जरा विचार कीजिए, आपके होने का प्रयोजन क्या है? अपने प्रयोजन की प्राप्ति के लिए आपका आयोजन क्या है? क्या आप समूची एकाग्रता के साथ अपने प्रयोजन की ओर बढ़ रहे हैं? क्या आप अपने विकल्पों का सही समय पर सार्थक उपयोग करते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं? यदि हां तो यही है, असली सफलता। याद रखें, व्यक्ति के जीवन का एक ही प्रयोजन हो सकता है और वह है सफलता ।
यदि हम विचार, विकल्प और चिन्तन को गंभीरतापूर्वक नहीं अपनायेंगे तो जीवन में सफल नहीं हो पायेंगे। और यदि सफल नहीं हो पायेंगे तो जितने कर्ज के साथ पैदा हुए थे, उससे कई गुना कर्ज भावी पीढ़ी के लिए छोड़ जायेंगे। दुनिया में अच्छा-बुरा, पाप-पुण्य, मित्रता-शत्रुता, सफलता-विफलता, शान्ति-अशान्ति, क्रान्ति-भ्रान्ति सब कुछ आपके मन के कारण है। मन को सकारात्मक दिशा देने के लिए एकाग्रता में ही बुद्धत्व घटता है। एकाग्रता में विचार, विकल्प और चिन्तन फलित होता है।
सफलता का रास्ता भले ही लम्बा हो, पर उसकी मंजिल बड़ी खूबसूरत होती है। सफलता के लिए तन और मन को समझाने की नहीं, जगाने की जरूरत होती है। जब कोई विचार, विकल्प और चिन्तन के साथ आगे बढ़ेगा तो उसका लम्बा रास्ता भी छोटा होता चला जायेगा और मंजिल से भी कई गुना खुबसूरत होता चला जायेगा। तो आईए, मंजिल को ही नहीं हर डगर को खूबसूरत बनायें, हर क्षण को अपनी मंजिल बनायें।
चिंता नहीं, चिन्तन करो। चिन्ता से तो एकाग्रता भंग होती है। जो चिन्ता से लड़ना नहीं जानता, वह कभी स्थिर बुद्धि नहीं हो सकता। साफ-साफ कहने वाला, राग-द्वेष न रखने वाला मैदान छोड़ कर न भागने वाला, हर क्षण को आनन्द व आत्मसम्मान के साथ जीने वाला ही एक अच्छा चिन्तक सिद्ध हो सकता है इसलिए चिन्तन और मनन की आदत डालें। सारे विकल्प खुले रखें, तब विकल्प चुनने में भी कोई कठिनाई नहीं आयेगी। ध्यान द्वारा मन पर नियन्त्रण सम्भव है। जब मन सघ जाता है तो सुमन बन जाता है और तब ही व्यक्ति अमन को उपलब्ध हो पाता है।
जब तक हम सोचते रहेंगे कि हमारा कोई वश नहीं है, तब तक हम सफलता की तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ा पायेंगे। आत्मविश्वास के बिना तो हम एक कदम भी नहीं उठा सकते और चिन्तन के बिना आत्मविश्वास नहीं जगा सकते। जिस प्रकार शरीर की असंख्य विसंगतियों को सन्तुलित करने हेतु प्रकृति ने हमें नींद प्रदान की है, उसी प्रकार जीवन की अनगिनत चिन्ताओं को सन्तुलित करने हेतु परमात्मा ने चिन्तन शक्ति प्रदान की है। यही हमारी सबसे बड़ी धरोहर है। यही हमें अन्य प्राणियों से अलग करती है।
जब तक हम विचार, विकल्प और चिन्तन की एकाग्रता में नहीं उतरेंगे, तब तक हम इन तीनों का समन्वय स्थापित नहीं कर सकेंगे। जब तक तीनों का समन्वय नहीं होगा, तब तक हर विचार अलग-थलग होगा। तब तक हम कोई निर्णय भी नहीं ले पायेंगे इसलिए जरूरी है कि समन्वय स्थापित करते हुए अपने कार्यों में अपेक्षित सुधार करें, अपनी कार्यप्रणाली में आवश्यक परिवर्तन करें, हर विकल्प खुला रखें तब हमें सफल होने से कोई नहीं रोक पायेगा।
दृष्टान्त
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइन्सटीन ने अपने एक सहयोगी के साथ एक शोध कार्य किया। लगभग सात सौ प्रयोग किये किन्तु सफलता नहीं मिली। इस पर सहयोगी ने हताश होकर इस रिसर्च को बन्द करने का आग्रह कर दिया। आइन्सटीन ने समझाया हम विफल नहीं हुए हैं। हमने सात सौ दिशाओं में खोज की है, दिशायें ही विफल हुईं। हम तो सफलता के नजदीक पहुँचते जा रहे हैं। अब हमारे पास बहुत कम विकल्प बचे हैं। और जो बचे हैं, उन्हीं में हमारी सफलता निहित है। प्रयोग जारी रखे गये और अन्ततः अन्तिम विकल्प पर पहुंच कर सफल हो गये अर्थात् विचार, विकल्प और चिन्तन की एकाग्रता के माध्यम से ही इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो सकी। यदि बीच में ही कार्य छोड़ दिया जाता तो सही विकल्प तक कभी नहीं पहुंच पाते।