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Agency | Aug 18, 2022 | 100 Steps of Success
अनुशासन और समुत्थानशक्ति विकसित करें
समयानुसार अपनी प्राथमिकताओं के प्रबंध्न के प्रति सचेत रहें। बैठकों को कम और संक्षिप्त में करें व पुनरावृति से बचें। केवल महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दें। व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक संबंध्ति कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें।
खुद पर विश्वास सर्वोपरि ‘मैं कर सकता हूं’
अपना व्यवसाय शुरू करने से आपको अपने विचारों के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता मिलती है, जो आपको आपकी सपफलता की ओर ले जाती हैं। बस अपनी उच्चतम अभिव्यक्ति को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें और उसी तरह की उपयुक्त योजना को विकसित करें। काॅलेज शिक्षा हमेशा जरूरी नहीं होती है। अध्किांश प्रसि( नवप्रर्वनकर्ताओं और उद्यमियों ने कभी काॅलेज की पढ़ाई पूरी नहीं की। कई उद्यमि औपचारिक शिक्षा के प्रति नापसंदगी और निराशा रखते हैं। स्टीव जाॅब्स डिग्री नहीं बल्कि ज्ञान हासिल करने के लिए काॅलेज गए थे। स्टीव जाॅब्स को स्कूल/काॅलेज से नफरत थी। वे हमेशा रचनात्मक सोचा करते थे और कुछ नया करना चाहते थे। कई और प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने भी स्कूल/काॅलेज छोड़ दिया था जिनमें हेनरी फोर्ड, निकोल किडमैन, बिल गेट्स, राल्पफ लाॅरेन, वाॅल्ट डिजनी, रिचर्ड ब्रैनसन और अंतरिक्ष में पहली महिला वेलेंटीना टेरेश्कोवा शामिल हैं। मार्क जुकरबर्ग जिन्होंने औपचारिक शिक्षा के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भाग लेने की आवश्यकता महसूस की, फिर भी अपने छात्रावास के कमरे में एक अभिरुचि के रूप में फेसबुक की शुरुआत की। यह अनुभव किसी काॅलेज की डिग्री की पेशकश की तुलना में कुछ बड़ा हो सकता है। इसी तरह हर देश में कई अज्ञात प्रतिभाओं को संसाध्ननों की कमी के कारण अपना नया विचार विकसित करने का अवसर कभी नहीं मिल सकता है या उन्हें एक वर्ग प्रणाली में जन्म लेने पर एक निचले रूप में देखा जाता है।
यहां भारत के एक इंजीनियर, प्रवर्तक और शिक्षा सुधरक सोनम वांगचुक की प्रेरणादायक कहानी हैः
उनका असाधरण जीवन प्रसिद्ध बाॅलीवुड फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ के पीछे की प्रेरणा था। अपने शिक्षकों और साथियों के प्रति प्रतिक्रिया की कमी के कारण उन्हें अपने शुरुआती वर्षों में एक मूर्ख बच्चा माना जाता था। लेकिन बाद में उन्होंने दिल्ली से अपनी शिक्षा पूरी की ओर एनआईटी श्री नगर से बी-टेक की उपाधि प्राप्त की। हालांकि, अध्ययन के अपने निर्णय पर अपने पिता की सहमति की कमी के कारण उन्हें अपनी शिक्षा का वित्तपोषण स्वयं करना पड़ा। उन्होंने फ्रांस से मिट्टी की वास्तुकला में दो साल का उच्च अध्ययन भी पूरा किया। अपने स्नातक समय के दौरान उन्होंने लद्दाख पर लागू एक विदेशी शिक्षा प्रणाली के पीड़ितों (बच्चों) के लिए 1988 में लद्दाख के छात्रा शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन की स्थापना की । वह क्रांतिकारी स्कूल के संस्थापक निदेशक भी बने, जिसने बच्चों को समाज द्वारा असफल होने के रूप में स्वीकार किया, वांगचुक का एकमात्र इरादा बच्चों को रटकर सीखने के लिए सीखने के बजाय सीखने को मजेदार और व्यावहारिक बनाना था। वह 2009 में लोकप्रियता में आए, जब उनकी कहानी ने राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर खान के चरित्र फुनसुख वांगड़ या रैंचो को प्रेरित किया। बाद में ‘आइस स्तूप’ और ‘सोलर हीटेड मड हट्स’ जैसे उनके अभूतपूर्व नवाचारों ने उन्हें चुनौतीपूर्ण इलाकों में स्थायी समाधन खोजने के लिए वैश्विक रडार पर रखा।
समय और सही निर्णयों का खेल है सफलता
जब आप सही निर्णय लेने के लिए अधकि समय चाहते हैं, तो याद रखें- देर से लिया गया सही निर्णय भी गलत कहलाता है। इसलिए अनुमान लगाएं, समायोजित करें, तीव्र करें। आपको यह अनुमान लगाना होगा कि चीजें गलत हो सकती हैं, आपकी चीजों के गलत होेने पर योजना बनानी होगी ओर पिफर एक बार ऐसा करने के बाद, आपको समायोजित करन होगा। कभी-कभी आपका लक्ष्य वही रहता है, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने की रणनीति या योजना में बदलाव आ जाते है। व्यक्ति के पास सब कुछ सही समय के अनुसार हो जाता है इसलिए धैर्य रखें। इसलिए कभी विश्वास मत खोना और दूसरों की गवाही से ईष्र्या करना। स्वयं को अपना आर्शीवाद न मिलने से निराश न हों अर्थात अपने आप से कहें, ‘मेरा समय आ रहा है, लोग प्रशंसा अवश्य करेंगें’।
कुछ समय प्रतीक्षा कर विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की योजना बनाएं
हम हमेशा लड़ते और संघर्ष करते हैं। स्थितियों का अध्ययन करने के बाद ही हमें पता चलता है कि लड़ने से कुछ हासिल नहीं होता है।