+91-9414076426
Avnish Jain | Nov 29, 2023 | Latest News
हवा में घुलता जहर सेहत को
बड़े खतरे की चेतावनी
सर्दी की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीआर) की हवा में जहर घुलने का खतरा मंडराने लगता है। शायद ही कभी ऐसा होता हो जब प्रदुषण की रोकथाम को लेकर होने वाले प्रयासों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी नहीं जताई हो। दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बढ़ते प्रदुषण पर फिर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा व उत्तरप्रदेश की सरकारों को एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं कि वायु प्रदुषण की रोकथाम वास्ते पराली जलाने से रोकने समेत दूसरे क्या-क्या कदम उनकी ओर से उठाए गए। दिल्ली ही नहीं, कहीं भी हवा मे घुलता जहर लोगों की सेहत को बड़े खतरे की चेतावनी है।
यों तो दिल्ली की हवा दूषित होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं लेकिन इन पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार माना जाता रहा है। आम तौर पर 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच का समय पराली जलाने का होता है। हैरत की बात यह है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सोमवार को ही जो रिपोर्ट जारी की उसमें दावा किया गया है कि बीते साल की अपेक्षा इस साल इन पांचों राज्यों और एनसीआर के जिलों में पराली जलाने की घटनाओं में 54 प्रतिशत की कमी आई है। इस दावे के बीच पंजाब से आई यह खबर चिंताजनक है जिसमें कहा गया है कि वहां एक ही दिन में पराली जलाने की घटनाओं में 740 फीसदी की वृद्धि हुई है। नासा ने इससे जुड़ीं तस्वीरें भी जारी की हैं। दूसरी ओर वायु गुणवत्ता प्रबन्ध आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में साफ कहा है कि एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदुषण का एक कारण पराली जलाना है। हालत यह हो गई है कि दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदुषण का स्तर और बढ़ने वाला है। सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी कर चुका है कि प्रदूषण रोकथाम के जो कदम बताए जा रहे हैं वे सब कागजी हैं। बात जमीनी हकीकत की है कि वहां क्या हो रहा है? जाहिर है कि प्रदुषण की रोकथाम के प्रयासों को गति देने की जरूरत है। न केवल पराली बल्कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार दूसरे कारणों की तरफ भी ध्यान देना होगा।
पराली जलाने वालों पर दण्डात्मक प्रावधान करने के बजाए किसानों को फसल के अवशेषों का प्रबन्ध कैसे किया जाए, इसका प्रशिक्षण देना भी जरूरी है। धुंआ उगलते वाहनों को प्रतिबंधित करने के साथ ही दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी से जुड़ी चिंता को भी ध्यान में रखना होगा।